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नागौर

टांकला की दरियों ने ‘पधारो म्हारे शिल्पग्राम’ प्रदर्शनी में जीता सबका दिल

नाबार्ड की ‘पधारो म्हारे शिल्पग्राम’ प्रदर्शनी में दिखा नागौर के दस्तकारों का हुनर

नागौरDec 29, 2023 / 05:20 pm

shyam choudhary

Tankla carpets won everyone's heart in Shilpgram exhibition

Tankla carpets won everyone’s heart in Shilpgram exhibition

राजधानी जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से ‘पधारो म्हारे शिल्पग्राम’ राष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, असम, गुजरात, केरल सहित 19 राज्यों के करीब 150 दस्तकारों ने हिस्सा लिया। इनमें असम के सीतलपति उत्पाद, गुजरात के काठियावाड़ी बीड वर्क, हरियाणा की हस्तनिर्मित दरी, कर्नाटक की हथकरघा साडिय़ां, महाराष्ट्र की शुद्ध टसर सिल्क साड़ी, बाड़मेर के एप्लिक वर्क उत्पाद, राजस्थानी जूती जैसे उत्पाद शामिल किए गए। लेकिन प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण नागौर जिले के टांकला की दरियां रहीं। इस प्रदर्शनी में टांकला के दरी व्यवसाय को पहचान दिलाने में भी मदद मिली है।
टांकला के सोहनलाल प्रजापत ने प्रदर्शनी में नागौर जिले की ओर से भाग लिया और बताया कि यहां की दरियां अपनी बनावट व डिजाइन के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। इसकी वजह है कि ये दरियां हाथों से बनाई जाती हैं। इसके दोनों तरफ एक ही प्रकार की चित्रकारी होती है। पशु-पक्षियों के साथ-साथ देवी-देवताओं की भी चित्रकारी की जाती है। खास बात है कि इसको किसी मशीन से नहीं बनाया जा सकता। यह अपनी रंगाई व मजबूत धागों के लिए प्रसिद्ध है। अपने अनुभव को साझा करते हुए प्रजापत ने बताया कि प्रदर्शनी के दौरान उन्होंने अच्छी बिक्री की और भविष्य के ऑर्डर के लिए गठजोड़ भी किया।

महिलाएं संभालती हैं दरी उद्योग
टांकला की दरियों की खासियत यह है कि ये कई तरह के डिजाइन में बनाई जाती हैं। बुनकर पशु-पक्षियों, देवी-देवताओं, फल-फूल सहित कई डिजाइनों में दरी बनाते हैं। अनपढ़ महिलाओं की कारीगरी देखकर पर्यटक भी अचंभित हो जाते हैं। कुछ साल पहले दरी बुनाई का काम बहुत चलता था। मजदूरी के भाव नहीं बढऩे से अब यह उद्योग सिमटता जा रहा है। टांकला के कई ग्रामीण इस पारंपरिक उद्योग को छोडक़र दूसरे काम अपना रहे हैं। फिलहाल महिलाएं ही इस दरी उद्योग को संभाल रही हैं।

दस्तकारों की आय बढ़ेगी
नाबार्ड के इस प्रयास से कारीगरों, शिल्पकारों व बुनकरों तथा ग्राहकों के बीच सीधा संबंध विकसित होगा। यह मंच कलाकारों की आय वृद्धि में सहायक होगा। साथ ही इससे स्थानीय कलाओं को बढ़ावा मिलेगा।
– मोहित चौधरी, जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड

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