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नागौर

सारथी दे जाते रोडवेज के रथ को गच्चा, बसों को करना पड़ता कटेल

नागौर. राजस्थान परिवहन निगम प्रबंधन ने परिचालकों की कमी को पूरा करने व रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए बस सारथी योजना संचालित की हुई है।

नागौरMay 30, 2024 / 01:00 pm

Ravindra Mishra

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रोडवेज बस

– फसली सीजन, तेज गर्मी या सर्दी में मार जाते हैं ड्यूटी से गौत

– कई बार बसों को करना पड़ता कटेल

– प्रदेश में 1500 व नागौर में लगे 39 बस सारथी
नागौर. राजस्थान परिवहन निगम प्रबंधन ने परिचालकों की कमी को पूरा करने व रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए बस सारथी योजना संचालित की हुई है। योजना के तहत पूरे प्रदेश के 54 आगारों में करीब पन्द्रह सौ बस सारथी जुड़कर रोजगार पार रहे हैं। नागौर आगार में 41 बस सारथी स्वीकृत किए हुए हैं। इनमें से 39 वर्तमान में कार्यरत है। बिडम्बना यह कि निगम में बस सारथी भी ‘होम करते हाथ जले’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। कारण है इनका मनमर्जी से काम करना। फसल बुवाई/ कटाई के समय, तेज गर्मी या सर्दी पडऩे पर ये लोग छुट्टी कर बैठते हैं। इससे आगार में बस संचालन की व्यवस्था लडखड़़ा जाती है। कई बार बस सारथी नहीं आने और परिचालकों की कमी के कारण बस शिड्युल को कटेल करना पड़ता है। इससे यात्रियों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। नागौर आगार के 85 बस शिड्युल में से 65 संचालित है।
तीसरी बार शुरू की योजना

निगम प्रबंधन ने तीसरी बार यह योजना शुरू की है। पूर्व में इस तरह की योजना निगम में वर्ष 2004 में भी लागू की थी, जिसे वर्ष 2011 में परिचालक चालकों की भर्ती के बाद बंद कर दिया गया। वर्ष 2011 के बाद से वर्ष 2016 तक परिचालक की भर्ती नहीं की गई। परिचालकों का अभाव होने से निगम के राजस्व में कमी आने लगी। आगारों में परिचालक की कमी से कई बार बसों का संचालन बीच-बीच में रोकना पड़ता था। इसके चलते राजस्थान परिवहन निगम ने बस सारथी योजना को 2021 में फिर से लागू किया है। योजना के तहत बस सारथी को 12000 रुपए प्रतिमाह नकद आय पर प्रतिफल राशि देने का प्रावधान है।
युवाओं का रुझान

निगम की इस योजना के प्रति युवाओं में काफी रुझान है। बस सारथी लगने वाले व्यक्ति को रूट पर चलने वाली बस की तीन साल की औसत आय निकालकर उसमें हर महिने की तीस तारीख को 5 प्रतिशत राशि बढ़ाकर बस आय का लक्ष्य दिया जाता है। कई बसों की अच्छी आय आने से सारथी को भी फायदा होता है। योजना के तहत 60 से 65 साल तक के सेवानिवृत्त परिचालकों को भी लगाने का प्रावधान है। अनुभव के कारण ऐसे परिचालक बसों की अच्छी आय ला रहे हैं।
यह है बस सारथी के लिए पात्रता

बस सारथी के लिए व्यक्ति मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण हो, न्यूनतम आयु 18 वर्ष व अधिकतम 45 वर्ष हो। दो राजपत्रित अधिकारी के स्तर से चरित्र सत्यापन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है। किसी कोर्ट अथवा पुलिस में कोई आपराधिक प्रकरण लंबित नहीं होना चाहिए। इसके लिए संबंधित पुलिस थाने से पुलिस वेरीफिकेशन देना होगा। परिवहन विभाग से बना परिचालक लाइसेंस होना जरूरी है। बस सारथी योजना में लगे अनुबंधित परिचालक को ईटीआईएम की प्रतिभूति राशि 20 हजार रुपए तथा मार्ग लक्ष्य की प्रतिभूति राशि निगम कोष में जमा करानी होती है।
निगम कर सकता है ब्लैक लिस्टेड

कई कारणों व लापरवाही को देखते हुए निगम ने बस सारथी योजना के तहत सख्ती बरतना भी शुरू किया है। इसके तहत बिना टिकट दिए यात्रा करवाने वाले परिचालकों को ब्लैक लिस्ट करने और सिक्योरिटी राशि जब्त के नियमों में सख्ती की गई है। योजना के तहत बस सारथी परिचालक एक महीने में चार छुट्टी ले सकता है। बहुत ही इमरजेंसी आने पर मुख्य प्रबंधक को सूचना देकर अधिकतम 10 दिन की छुट्टी प्राप्त कर सकता है, हालांकि इसके लिए उसको वेतन नहीं दिया जाएगा। यदि कोई सारथी बिना सूचित किए पांच दिन अथवा उससे अधिक छुट्टी लेता है तो उससे प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपए बतौर जुर्माना वसूला जाएगा।
इनका कहना…

सारथी योजना में परिचालक लगाने से रोडवेज में परिचालकों की कमी दूर हुई है। इससे लोगों को रोजगार मिला है साथ ही आगार को बसों के संचालन में आसानी हुई है।
राजेश फिडौदा,

मुख्य प्रबंधक, राजस्थान रोड़वेज, नागौर आगार

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