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नागौर

अवैध शराब के कारोबार पर बिठाए पहरेदार हजार

संदीप पाण्डेय
एक्सक्लूसिव
नागौर. अवैध शराब के उत्पादन से लेकर बिकवाली पर नजर रखने के लिए संबंधित थानों के बीट कांस्टेबल के साथ आबकारी सिपाहियों की जिम्मेदारी तय की गई है। उन्हें अपने रोजाना की रिपोर्ट में अवैध शराब की सूचना से लेकर कार्रवाई तक की जानकारी बीट बुक में दर्ज करना होगा। हाई-वे स्थित सभी ढाबों की अब निरंतर जांच होगी ताकि अवैध शराब पर अंकुश लग सके।

नागौरOct 28, 2021 / 09:39 pm

Sandeep Pandey

थानों के बीट कांस्टेबल ही नहीं अफसर भी जिम्मेदार

जिले में अवैध मदिरा की रोकथाम के लिए उन स्थानों का सर्वे किया जा रहा है जहां ये अवैध कारोबार बहुतायात में हो रहा है।

थानों के बीट कांस्टेबल ही नहीं अफसर भी जिम्मेदार

सूत्रों के अनुसार बढ़ते अवैध शराब के कारोबार से राज्य सरकार के राजस्व पर भारी मार पड़ रही है। ऐसे में हाल ही सरकार की ओर से जारी आदेश में जिला कलक्टर को इस पर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। आदेश में कहा गया है कि हाई-वे के ढाबों के साथ यहां से गुजरने वाले स्प्रिट टैंकर भी जांचे जाएं, जिससे इसके बेचान-खुर्दबुर्द करने की साजिश पर रोक लगे। स्प्रिट भी दरअसल अवैध मदिरा बनाने के काम आती है। बाहरी राज्यों की सीमा से लगते क्षेत्रों में चौकसी बढ़ाने की जरुरत बताई गई। यही नहीं जिले में अवैध शराब के निर्माण, संग्रहण या फिर बेचान को लेकर कड़े कदम उठाते हुए मिथानोल या फिर इस पर आधारित उत्पादों के निर्माता/फैक्ट्री के लाइसेंस की जांच कर इन्हें सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए। मिथानोल के दुरुपयोग की भी संभावनाओं को टटोलने को कहा। अवैध शराब एकत्र रकने के साथ बोतलों के साथ छेड़छाड़ कर टेम्परिंग करने पर भी कठोर कार्यवाही की जाएगी।
सरकारी कर्मचारी भी कर सकेगा मुखबिरी

सूत्र बताते हैं कि सरकारी कर्मचारी भी मुखबिर प्रोत्साहन योजना का हिस्सा होगा। हाल ही सरकार ने खान, आबकारी, बिक्री कर, परिवहन समेत कई विभागों में लग रही राजस्व की चपत को रोकने के लिए इस प्रोत्साहन योजना को नए सिरे से लागू करते हुए नाम गुप्त रखकर रिवार्ड दिलाने को कहा। आबकारी में कुल पकड़वाए माल का आठ तो जब्त वाहन का दो प्रतिशत मुखबिर को दिया जाएगा। यह भी तय किया है कि मुखबिर तंत्र मजबूती से विकसित हो इसके लिए गवाह मजबूत लोगों को बनाया जाए। कमजोर साक्ष्य और अनुसंधान की कमी के कारण मामला ‘खारिज’ होने पर लापरवाह अफसर/कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
तीन-चार करोड़ राजस्व की चपत

सूत्रों की मानें तो नागौर जिले में अवैध शराब की बिकवाली से सरकार को राजस्व की खूब चपत लग रही है। कोरोना काल में भी पिछले साल कुछ पकड़ी गई अवैध शराब से ही जाहिर हो गया कि आम दिनों में इसका धंधा जोरों पर रहता है। एक अनुमान के मुताबिक कोरोना से पहले अवैध शराब अथवा अन्य करों की चोरी से सरकार को अकेले नागौर जिले से करीब तीन-चार करोड़ के राजस्व की चपत लगती थी। सरकार ने ये सब देखते हुए सख्ती की है। मुख्य सचिव ने पांच दिन पहले ही इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को परिपत्र भेजा है। साथ ही 25 अक्टूबर से अवैध मदिरा के खिलाफ निरोधात्मक अभियान भी शुरू किया गया है।
आईजी की अध्यक्षता में कमेटी

सूत्रों का कहना है कि इसके लिए संभाग स्तर पर अजमेर रेंज आईजी एस सेंगाथिर की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी का गठन होगा। इसमें जिला कलक्टर, एसपी, जिला आबकारी अधिकारी व निरोधक दल के आबकारी अधिकारी शामिल होंगे। संभाग के अतिरिक्त आबकारी आयुक्त इसके सदस्य होंगे। अवैध व हथकढ़ शराब की रोकथाम के लिए कलक्टर डॉ जितेंद्र कुमार सोनी की अगुवाई में पुलिस-आबकारी विभाग के समन्वय से विशिष्ट कार्य योजना बनेगी।
बैठक का स्थाई एजेंडा

सूत्रों के अनुसार कलक्टर की अध्यक्षता में राजस्व अधिकारियों व एसपी के नेतृत्व में पुलिस अफसरों की नियमित बैठक में अवैध शराब की रोकथाम स्थाई एजेंडा में शामिल होगा। अवैध शराब की रोकथाम से सरकार को होने वाले लाभ अथवा इनके चलने से होते नुकसान का ब्योरा लिया जाएगा। साथ ही पुलिस अफसरों की मीटिंग में इस पर रोक के प्रयास और परिणाम पर नियमित चर्चा होगी।
नवजीवन योजना के लिए सर्वे

जिले में अवैध मदिरा की रोकथाम के लिए उन स्थानों का सर्वे किया जा रहा है जहां ये अवैध कारोबार बहुतायात में हो रहा है। इनमें लिप्त लोगों की सूची सामाजिक व न्याय अधिकारिता विभाग को सौंपी जाएगी। इसके तहत संबंधित क्षेत्र में सामुदायिक भवन, नालियां, पानी की हौद का निर्माण और कौशल प्रशिक्षण के तहत सिलाई, बैग-चटाई समेत अन्य में प्रशिक्षित कर लोन के जरिए स्वरोजगार किया जाएगा। यही नहीं जिन क्षेत्रों में ऐसा कुछ नहीं हो वहां के लोगों की सूची न्याय व अधिकारिता विभाग को सौंपी जाए ताकि उन्हें मनरेगा कार्य से जोड़ा जा सके। चिन्हित परिवारों के बच्चों की शिक्षा मुहैया कराने का स्थानीय स्तर पर इंतजाम करने को भी ताकीद किया है।
इनका कहना

इस संबंध में हाल ही दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं। जिम्मेदारी तय की गई तो नए ढंग से मॉनिटरिंग और एक्शन के लिए कहा गया है। आबकारी, जिला प्रशासन और पुलिस के समन्वय से यह सबकुछ किया जाएगा।
-मोहनराम पूनिया, जिला आबकारी अधिकारी

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