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नागौर

सवा तीन लाख घर अभी भी पेयजल से दर-बदर

संदीप पाण्डेय
नागौर. गांव-ढाणी में बसी आबादी के हर घर तक नल कनेक्शन पहुंचने में अभी लंबा वक्त लगेगा। यहां के करीब सवा तीन लाख घरों के लिए अभी पेयजल एक बड़ा सपना बना हुआ है। और तो और जल जीवन मिशन (जेजेएम) योजना के तहत तो अब तक एक भी कनेक्शन नहीं हो पाया है।

नागौरNov 12, 2021 / 10:20 pm

Sandeep Pandey

एक भी कनेक्शन नहीं

जेजेएम पर काम का इंतजार ही काफी लंबा हो चला है।

– -करीब 37 हजार ढाणियां और एक हजार गांव का हाल-जल जीवन मिशन योजना के तहत अब तक एक भी कनेक्शन नहीं-लंबी कवायद के बाद जायल और लाडनूं में अब होगा काम शुरू

अभी जायल और लाडनूं का टेण्डर हुआ है, यहां भी काम शुरू होने में पंद्रह-बीस दिन लगेेंगे। करोड़ों का खर्च होना है पर इसकी शुरुआत में हो रही देरी का रोना है। वर्ष 2024 तक काम पूरा करना है पर आसार 2028 तक भी अधूरे रहने के नजर आ रहे हैं।सूत्रों के अनुसार काम की सुस्त रफ्तार पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। जायल और लाडनूं का ही वर्क आर्डर जारी हो पाया है। यहां करीब पचास से अधिक टंकियां बनेंगी। इसके अलावा अन्य उपखण्ड के गांव-ढाणियों का तो अभी तक सर्वे भी शुरू नहीं हो पाया है जो लाइन डालने के लिए पहले होना है। सर्वे में गलती नहीं रहने पाए, इस आशंका के साथ सर्वे पर फोकस देने की बात कहकर सरकार अपना बचाव कर रही है जबकि गांव-ढाणियों में पानी को लेकर अब भी त्राहि-त्राहि मची हुई है। ग्रामीणों को घर से निकलकर पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि सर्वे में हो रही गड़बड़ी से भी मामला सुस्त चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के हिसाब से जिले में 42 हजार ढाणियां और 1589 गांव हैं जहां घर-घर नल कनेक्शन देने थे। इसमें जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जाइका) के साथ वर्ष 2007 से चले संयुक्त अभियान में करीब साढ़े पांच हजार ढाणियों और 575 गांवों में घर-घर पेयजल पहुंच चुका है। इस पर करीब बारह सौ करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद पिछले कुछ समय से जेजेएम पर काम का इंतजार ही काफी लंबा हो चला है।
काम जल्द हो पर राजनीति रुकावट

सूत्रों का कहना है कि जिले की बड़ी जनसंख्या गांव-ढाणियों में निवास करती है। ऐसे में कनेक्शन के लिए बिछने वाली लाइन और उसके लिए होने वाला सर्वे भी बड़ा मुश्किल पड़ रहा है। गांव-ढाणियों में सर्वे के दौरान रास्ते के बीच अतिक्रमण तो कहीं अपने सामने पाइप लाइन डालने की आशंका/संभावना पर भी उलझा जा रहा है। हालांकि अभी काफी जगह पर सर्वे का काम बाकी है पर पता चला है कि राजनीतिक पहुंच वाले लोग इस योजना से जुड़े कार्मिक/ठेकेदारों को अपने हिसाब से काम करने के लिए चेता रहे हैं। कई जगह तो सर्वे करने में भी मुश्किल का कारण राजनीतिक रंजिश सामने आ सकती है।
पाबंदी पर ध्यान नहीं

सूत्रों का कहना है कि जेजेएम के तहत कितने कनेक्शन होंगे, कितने किलोमीटर पाइप लाइन बिछेगी? कितनी टंकियों का निर्माण होगा, कितने पंप हाउस बनेंगे। एफएसटीसी में प्रयुक्त होने वाली सामग्री आईएसआई मार्का की होने के साथ कॉक, वॉल्व आदि के लिए भी अधिकृत फर्म से खरीदने की बंदिश है। उधर पता चला है कि कुछ अन्य जिलों में हो रहे इस काम में इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। प्रतिदिन मॉनिटरिंग और फील्ड में कार्यरत अभियंताओं को भी काम जल्द करने के लिए ताकीद किया गया है पर अभी तो शुरुआत तक नहीं हो पाई है।
दावे बड़े-बड़े

सूत्र बताते हैं कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 55 तो शहरी क्षेत्रों में सौ लीटर देने का दावा जलदाय विभाग कर रहा है पर हकीकत कुछ और ही है। पूरे जिले के अधिकांश इलाकों में नहरी पानी देने की बात करने के बाद भी लोगों को उनका हिस्सा पूरा नहीं मिल रहा है। हाल ही में खत्म हुई गर्मियों में गांव-ढाणी तो दूर नागौर शहर समेत कई बड़े कस्बों में जनता पानी के लिए हाहाकार मचाती दिखी। अमृत पेयजल योजना के नाम पर तो कहीं अन्य कारणों से शहरी जनता को पानी तक पहुंचाने में पीएचईडी के साथ परिषद/पालिका भी विफल दिखाई दिए। ऐसे में पानी वितरण का दावा झूठा दिख रहा है जबकि एक बारगी तो विभाग ने शहरी इलाकों में 135 लीटर तो ग्रामीण इलाकों में सौ लीटर पानी प्रति व्यक्ति देने का वादा कर दिया था।
इनका कहना है

जायल-लाडनूं के लिए वर्क ऑर्डर जारी हो गया है। मेड़ता समेत तीन अन्य उपखण्डों का भी काम जल्द शुरू होगा। ऐसी बड़ी परियोजना में तो समय लगता ही है। सर्वे कर सुनिश्चित किया जा रहा है कि कहीं गड़बड़ी न हो। मार्च-22 तक जिलेभर के गांव-ढाणियों में काम शुरू हो जाएगा। आईएसआई मार्का का ही माल लगेगा। इसके लिए तकनीकी कमेटी भी बनी हुई है।
दिनेश गोयल, मुख्य अभियंता (नागौर परियोजना)

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लाडनूं-जायल में काम जल्द शुरू होगा। वहां के पाइप के लिए बाहर आए हुए हैं। जेजेएम के तहत अभी एक भी कनेक्शन नहीं पर जापान की कंपनी के साथ घर-घर पेयजल कनेक्शन पर काफी काम हुआ है।
-एमपी सोनी, अधीक्षण अभियंता (डीडवाना वृत्त परियोजना)

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