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नागौर

अनूठे प्रयोग ने बदल दी दिशा और दशा

पौ धाम के गोपालक कालूराम कर रहा हैं बिच्छू पालन

नागौरJun 13, 2018 / 06:49 pm

Pratap Singh Soni

Kuchera News

कुचेरा पालन दिखाते कालूराम व बच्छवारी सरपंच जगदीश सिंह खोखर।

कुचेरा. क्षेत्र के वरिष्ट दादूपंथी आश्रम पौ धाम में जन्म से रह रहे गोपालक कालूराम के एक प्रयोग ने उसके जीवन की दिशा व दशा बदल दी। गौ पालन में रुचि रखने व गायों की सेवा करने वाले कालूराम अब गौ सेवा के साथ बिच्छू पालन भी कर रहा है। वह बर्तनों में गिली मिट्टी डालकर उस पर कांच के बर्तनों में बिच्छू पाल रहा है। वैसे तो बिच्छू के जहरीले होने से आम आदमी उससे डरकर दूर भागते हैं, लेकिन कालूराम उन्हें बड़ी रुचि से पाल रहा है। दमा रोग के उपचार में उपयोगी बताकर वह उनका पालन कर रहा है। पौधाम के संतों व बच्छवारी सरपंच जगदीश सिंह खोखर ने बताया कि कालूराम से गौ शाला की एक गाय की श्वांस की तकलीफ देखी नहीं गई। उसने पौ धाम महंत रामनिवासदास से इस बारे कहा। महंत ने उसे गाय की रीढ़ में बिच्छू का डंक दिलवाने की बात कही। इस पर कालूराम ने पौ धाम के पास ही तपोस्थली बांठ से एक बिच्छू लाकर गाय को डंक लगवाया। इससे गाय की दमे की बीमारी ठीक हो गई। उसके बाद से ही कालूराम ने बिच्छूपालना शुरू कर दिया।
पीठ पर रहते हैं सैंकड़ों की संख्या में बच्चे
कालूराम द्वारा किए गए बिच्छूपालन में देखा कि बिच्छू की पीठ पर सैंकड़ों की संख्या में उसके बच्चे रहते हैं। सफेद रंग के ये सूक्ष्म बच्चे हर किसी को नंगी आंख से नहीं दिखते हैं। लेकिन एक एक बिच्छू को काँच के बर्तन की सहायता से अलग रखने से उसकी पीठ पर लदे सूक्ष्म बच्चे आसानी से देखे जा सकते हैं। इस प्रसव काल के दौरान बिच्छू ज्यादा चल फिर नहीं पाता है। पौ धाम महंत रामनिवासदास ने बताया कि कालूराम बचपन से ही पौ धाम में रहता है तथा गोशाला में गायों की सेवा करता है। गोवंश भी उसकी हर बात को इशारों में समझ जाता है। महंत ने बताया कि कालूराम जन्म से ही बोलने में अक्ष्म है, लेकिन उसका दिमाग किसी मिस्त्री से कम नहीं है। वह गाड़ी के इंजन सहित किसी भी मशीन को ठीक करके वापस कस देता है, जबकि ना तो वह कभी स्कूल गया और ना ही किसी मिस्त्री के यहां काम सीखने गया। वह एण्ड्रॉयड फोन भी चलाता है।
बचपन से प्रकृति प्रेमी
महंत ने बताया कालूराम बचपन से प्रकृति प्रेमी है। वह गोवंश व वन्य जीवों के लालन पालन व सुरक्षा, पौधारोपण कर उनकी परवरिश करने, पक्षियों के लिए परिण्डे लगाकर उनमें रोजाना पानी भरने सहित विभिन्न कार्य करता है। गोशाला में बड़े से बड़े व खतरनाक नागौर साण्ड भी उसके इशारे से अपनी जगह पर रुक जाते हैं।

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