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नागौर

हम नहीं मानते संवैधानिक कानून को, जो मर्जी आए कर लो….!

Nagaur. केन्द्रीय बस स्टैंड के सामने ही खड़ी रहती हैं निजी बसें-नागौर के केन्द्रीय बस स्टैंड के सामने से प्रावधानों को अंगूठा दिखाते हुए छतों पर सवार यात्रियों के साथ गुजरती प्राइवेट परिवहन सेवा की बसनिगम को रोजाना लाखों के राजस्व को लगाते प्राइवेट वाहन, प्रावधानों के अनुसार बस स्टैंड के आसपास एक मिनट भी नहीं रुक सकते प्राइवेट वाहन

नागौरSep 16, 2021 / 10:11 pm

Sharad Shukla

We do not believe in constitutional law, do whatever you want....

Nagaur. Operating by flouting private vehicle transport provisions in the district

नागौर. प्राइवेट परिवहन बस संचालकों ने राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की माली हालत बिगाडकऱ रख दी है। संचालन अवधि से रोडवेज के रोजाना की आय 25-30 प्रतिशत प्रभावित हुई है। माह भर में यह आंकड़ा लाखों में पहुंच जाता है। संचालन अवधि से अब तक प्रभावित हुए राजस्व का आंकड़ा करोड़ों में पहुंच गया है। निगम के अधिकारियों का मानना है कि प्राइवेट बस सेवा का चालन निर्धारित मापदंडों के प्रतिकूल किए जाने की वजह से यह स्थिति हुुई है, नहीं तो ऐसा बिलकुल नहीं होता। इस संबंध में परिवहन विभाग से लेकर जिला प्रशासन के मुखिया तक को अवगत कराने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी। नागौर परिवहन विभाग के एरिया में प्राइवेट बस सेवा की डेढ़ सौ से ज्यादा बसों के संचालन की वजह से आए दिन राजमार्गों पर न केवल यातायात जाम बना रहता है, बल्कि कानून के पहरेदारों के सामने ही मनमर्जी से जहां-तहां वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। इसकी वजह से रोडवेज के राजस्व में भी अब कमी आने लगी है। इन बसों का संचालन रोडवेज बसों के समानांतर चलने से स्थिति अब निगम के लिए हालात और ज्यादा खराब होने लगे हंै। निगम के जानकारों के अनुसार प्राइवेट बस सेवा का संचालन नागौर, मेड़ता, जायल, डेगाना, रियाबड़ी, खींवसर, गोटन, कुचामनसिटी, मकराना, डीडवाना, डेगाना में बेखौंफ बस स्टैंडों के निकट ही समानांतर बसों को खड़ी कर किया जाने लगा है। इससे जिले भर में निगम की आय धीरे-धीरे कम होने लगी। अब स्थिति इतनी खराब हो गई है कि निगम के रोजाना के राजस्व पर चार से पांच लाख का कम होने लगा है।

रोडवेज के समानांतर चलती प्राइवेट बस सेवा

नाागौर आगार से करीब 78 बसों का चालन किया जाता है। इनमें औसतन अनुबंधित बस सेवा को निकाल दिए जाने पर निगम की स्थिति प्राइवेट बसों की संख्या के अनुपात में एक तिहाई के बराबर ही रह जाती है। नागौर से अजमेर, जोधपुर, गुजरात, जयपुर सहित कई बड़े शहरों में रोडवेज बस सेवा के रूट पर इससे तीन गुना ज्यादा बसों का संचालन किया जा रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि प्राइवेट बस सेवा का संचालन निगम के रूटों पर ही किए जाने से स्थिति बिगड़ी है। जबकि प्राइवेट बस सेवा का चालन निर्धारित मापदंडों के प्रतिकूल रोडवेज के समानांतर रूटों पर किया जा रहा है।

इस पर नहीं दिया जा रहा ध्यान

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार प्राइवेट बस सेवा उनके मुख्य बस स्टैंड एवं बुकिंग विंडो के आसपास से किया जाता है। जहां पर निगम की बसें यात्रियों के लिए खड़ी होती है, वहीं पर प्राइवेट बस सेवा की बसें भी खड़ी कर दी जाती है। कई बार निगम की बसों पर बैठे हुए यात्रियों को भी लोक परिवहन सेवा के चालक अपनी बसों में ले जाकर बैठा देते हैं। इसको लेकर आए दिन निगम एवं प्राइवेट बस सेवा के चालकों के बीच रार भी होती रहती है।

आंकड़ों पर नजर

प्राइवेट सेवा बसों की संख्या-900 से भी ज्यादानिगम के बसों की संख्या-78 (अनुबंधित सहित)एक साल में प्राइवेट बस सेवा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की स्थिति 20 प्रतिशत भी नहींनिगम बस सेवा का प्रतिदिन का प्रभावित राजस्व-4-5 लाखनिगम का प्रतिदिन का राजस्व औसतन-11 लाख लगभगविशेष: निगम के मुख्य बस स्टैंड एवं बुकिंग विंडों के आसपास से प्राइवेट सेवा की ओर से सवारियां बैठाना।

मूण्डवा चौराहा से बस स्टैंड तक यह रहते हालात

निगम के अधिकारियों के अनुसार जिले भर में प्राइवेट बस संचालकों की मनमनर्जी के कारण आए दिन यातायात व्यवस्था में भी प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। केन्द्रीय बस स्टैंड के पास ही स्थित मूण्डवा चौराहा से लेकर विजयवल्लब चौराहा तक खड़े होने वाले प्राइवेट बसों की संख्या तीन दर्जन से ज्यादा रहती है। प्रति घंटे करीब दर्जन भर बसें प्राइवेट सेवा की यात्रियों को लेकर गंतव्यों तक रवाना होती है। इसी से बिगड़ी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बुधवार को भी प्राइवेट बस संचालकों एवं अन्य सवारी वाहनों के कारण विजयबल्लब चौराहे पर दोपहर में जाम लगा रहा। इससे न केवल यातायात बाधित हुआ, बल्कि रोडवेज की बसों को भी निकलने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
इनका कहना है…
प्राइवेट बस सेवा न केवल रोडवेज के बसों के समानांतर चलती है, बल्कि इसके संचालन से प्रतिदिन 25-30 प्रतिशत का राजस्व प्रभावित होने लगा है। इस संबंध में कार्रवाई कराने के लिए जिला कलक्टर व जिला परिवहन अधिकारी को लिखित रूप से अवगत कराया जा चुका है।
ऊषा चौधरी , मुख्य प्रबन्धक नागौर आगार

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