सुबह आंख खोलते ही पेयजल जुटाने के बारे में सोचना पड़े तो जीवन कितना मुश्किल लगेगा। सोचकर ही मन में भय लगने लगता है
नागदा•Oct 22, 2018 / 12:42 am•
Lalit Saxena
सुबह आंख खोलते ही पेयजल जुटाने के बारे में सोचना पड़े तो जीवन कितना मुश्किल लगेगा। सोचकर ही मन में भय लगने लगता है
कमलेश वर्मा. नागदा. सुबह आंख खोलते ही पेयजल जुटाने के बारे में सोचना पड़े तो जीवन कितना मुश्किल लगेगा। सोचकर ही मन में भय लगने लगता है, लेकिन तहसील के समीप ऐसे भी गांव हैं, जहां के ग्रामीण आंख खोलते ही पेयजल की उम्मीदों को सजाने लगाते हैं। तब जाकर उन्हें कहीं दो बर्तन पेयजल नसीब हो पाता है।
दरअसल विकासखंड नागदा-खाचरौद के ग्राम निनावट खेड़ा और अटलवदा में पेयजल संकट वर्षभर छाया रहता है। हालांकि पेयजल टैंकरों के माध्यम से गांवों में भेजा जाता है, लेकिन उनसे पूर्ति नहीं हो पाती। ऐसा नहीं है कि वर्तमान विधायक दिलीपसिंह शेखावत ने गांव को विकास की सौगात नहीं दीं, लेकिन मूल सूविधा पेयजल के लिए ग्रामीणों को बांट जोहनी पड़ती है। विधानसभा चुनाव को लेकर ग्रामीणों की प्रतिक्रियाएं सहज और सरल है। ग्रामीणों को केवल पेयजल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी केवल शिक्षा की ओर कदम बढ़ा सके।
सालों पेयजल का है इंतजार, टैंकरों के भरोसे
चित्र को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है, कि ग्रामीणों की उम्मीदें पेयजल को लेकर किस कदर व्याप्त है। ग्रामीणों को सुबह उठकर पेयजल के लिए इंतजार करना पड़ता है। ग्रामीणों का तर्क है, कि कतारों में लगे पानी के बर्तन हमारी उम्मीदें है। पेयजल के लिए भोपाल तक शिकायत करनी पड़ी तब जाकर कहीं कुछ मात्रा में उपलब्धता हो सकी है। विधानसभा में जो भी प्रताशी उनके हक का पानी उन्हें उपलब्ध करवाने का दावा करेगा ग्रामीण उसे ही अपना मत देंगे।
यहां पेयजल जुटाता है बचपन
ग्राम के प्रवेश द्वारा पर पहुंचते ही बचपन पेयजल जुटाता दिखाई पड़ता है। 15 सालों में क्षेत्र की तस्वीर तो बदली लेकिन पेयजल समस्या समुचित मात्रा में हल नहीं हो सकी। जनप्रतिनिधियों के प्रयासों ने मिट्टी के घरों को पक्के मकानों में तब्दील तो करवा दिए, लेकिन पेयजल उपलब्धता के प्रयासों में कुछ कमी रह गई। खैर ग्रामीणों के मन में विधानसभा से उम्मीदें तो अपार है। उनका कहना है, कि ऐसी कोई शासकीय योजना नहीं है, जो उन तक नहीं पहुंच पाई है। वर्ष 2017-18 रबी फसल बीमा योजना के अंतर्गत ग्राम के प्रत्येक किसानों को करीब 2 लाख रुपए से अधिक की राशि प्राप्त हुई। दबे मन से ग्रामीणों की एक मंशा और है। वह है, अटलावदा से बेरछा पहुंच मार्ग। मार्ग का निर्माण हो जाने से ग्रामीणों की शहरों से दूरी काफी हद तक कम हो सकेगी।