एक सूर में कोटवारों ने कहा शासकीय कार्य का करेंगे बहिष्कार
नागदा•Jul 09, 2018 / 10:41 pm•
Lalit Saxena
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नागदा. नागदा उन्हेल सर्कल के कोटवारों को पांच माह से पारिश्रमिक नहीं मिलने से परेशान है आर्थिक स्थिति खराब होने से रोज तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे है लेकिन उन्हें मानदेय के बदले सिर्फ अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया जा रहा है। कोटवारों ने चेतावनी दी है कि कि अगर जल्द ही उन्हें मानदेय नहीं मिला तो वह किसी भी प्रकार का सरकारी काम नहीं करेंगे। साथ ही जिला कलेक्टर के कार्यालय का घेराव करेंगे।
शासन की विभिन्न योजनाओं की गांव की चौपाल पर मुनादी करने से लेकर पुलिस विभाग के किसी भी कार्य में कोटवारों को झोंक दिया जाता है, लेकिन जब उनके वेतन या अन्य हितलाभ देने की बात सामने आती है तो आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिलता। सोमवार को ऐसी ही कुछ मांगों को लेकर नागदा-उन्हेल सर्कल के कोटवारों को जमावड़ा तहसील मुख्यालय पर हुआ। कोटवारों मात्र 400 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है, लेकिन पांच माह से यह राशि भी कोटवारों के खाते में नहीं पहुची, जिसको लेकर कोटवारों में विरोध के स्वर उभर रहे है। कोटवारों ने एक सुर में कहा यदि मानदेय का भुगतान नहीं किया तो अब शासन के किसी भी कार्य में सहयोग नहीं करेंगे। कोटवार शंातिलाल अमलावदिया ने बताया कि शासन ने कुछ कोटवारों को भूमि आवंटित कर रखी है लेकिन वह नाममात्र की है गांव कुछ रसुखदारों ने भूमि पर कब्षा कर रखा है। गांव में दूसरो की भूमि का सीमांकन करने वाले कोटवार अपनी स्वयं की भूमि का सुरक्षा नहीं कर पा रहे है ।
कोटवारों को मायूस होकर लौटना पड़ा
एसडीएम डॉ. रजनीश श्रीवास्तव के समक्ष अपनी मांगों को रखने के लिए कोटवारों का एकत्रिकरण तहसील मुख्यालय पर हुआ था, लेकिन दोपहर तीन बजे तक कोई अधिकारी कोटवारों की बात सुनने के लिए नहीं पहुंचा। सिर्फ मोबाइल पर आश्वासन मिलता रहा कि समस्या सुनने के लिए अधिकारी पहुंच रहे है। लंबे इंतजार के बाद पता चला कि सभी अधिकारी उज्जैन में सीएम व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आगमन को लेकर चल रही तैयारियों में व्यस्त है। लिहाजा कोटवारों को सोमवार को भी बैरंग ही अपने गांव लौटना पड़ा।
भारतीय मजदूर संघ ने दिया कोटवारों को प्लेटफार्म
कोटवारों का एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए भारतीय मजदूर संघ ने अहम भूमिका निभाई। इसके पहले कोटवारों को कोई संगठन नहीं था बिखराव के कारण मांगों के लिए कभी आवाज नहीं उठाई जाती थी, जिसके कारण लंबे समय से उनका शोषण होता जा रहा है। अब कोटवारों का संघ बनने के बाद अपनी मांगों को लेकर क्रमबद्ध आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे है। सोमवार को तहसील मुख्यालय पर राधेश्याम मेहतवास, गोरधन नायन, शहजाद कलसी, कैलाश अलसी, कैलाश खोखरी, कैलाश चकमाधवगढ़, फूलसिंह भगतपुरी, प्रभु भीलसुड़ा, शंकरलाल महू, बाबूलाल बनबनी, कैलाश निम्बोदिया कला, मोहनलाल हताई, रामचंद्र बोरखेड़ा सहित लगभग 130 कोटवार ने पहुंचकर प्रदर्शन किया।
सीएम की घोषणा पर भी नहीं हो सका अमल
गांव डाबरी के कोटवार भेरुलाल का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित पंचायत में कोटवारों को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें भूमि स्वामी का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा, लेकिन इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी परिणाम सिफर है। रामचंद्र ने कहा कि जिस समय आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को शासन द्वारा हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रंही है जबकि कोटवारों को शासन के किसी भी कार्य में लगा दिया जाता है उसके बाद जब अधिकारों की बात सामने आती है तो परिणाम सिफर रहता है। पवनबाई कचनारिया का कहना है कि प्रतिवर्ष कोटवारों को गणवेश का वितरण किया जाता है, लेकिन इस बार गणवेश तो ठीक बारिश के दिनों में बरसाती व अन्य सामग्री भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। कोटवारों ने एक सुर में कहा यदि मानदेय का भुगतान नहीं किया गया तो किसी भी तरह के शासकीय कार्य में सहयोग नहीं करेंगे और आंदोलन के दूसरे चरण में कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे।