माओवादियों ने उन्हें देख लिया और फायरिंग शुरू कर दी
नारायणपुर एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि वे ऑपरेशन को पूरा करने के लिए सूचना और प्लानिंग के हिसाब से देर हो गए थे। लेकिन इसके बाद भी जवानों का हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने पहाड़ी की दूसरी तरफ जाकर माओवादियों को घेरने का फैसला लिया। इसी प्लानिंग पर अमल करते हुए वे आगे बढ़े, पहाड़ी की दूसरी तरफ पहुंचते ही माओवादियों ने उन्हें देख लिया और फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की जिसमें दो माओवादी उसी वक्त घायल हो गए थे। इसके बाद वे भागने लगे। लेकिन वे भी उनके पीछे भागे और फायरिंग जारी रखी। करीब 1 घंटे तक चली इस मुठभेड़ के बाद बाकी बचे माओवादी भाग निकले। इसके बाद पुलिस ने मौके से चार जवानों के शव बरामद किए।
बदली रणनीति से लगातार मिल रही सफलता
गौरतलब है कि इस बार ऑपरेशन मानसून के तहत पुलिस ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव लाते हुए डिफेंसिव की जगह अटैंकिग करने का निर्णय लिया था। अचानक इस बदली रणनीति का मोओवादियों के पास भी जवाब नहीं है। इसलिए जवानों को लगातार सफलता मिल रही है। इस बदली रणनीति का ही नतीजा है कि बीते तीन महीनों में अब तक मारे गए माआेवादियों की संख्या 50 के करीब पहुंच गई है। आपरेशन मानसून के चलते इन दिनो जवानो के हौसले बुलंद हैं। लगातार मिल रही सफलता के कारण सुरक्षाबलों का मनोबल भी बढ़ा ह़ुआ है। जवानों के कारण माओवादी बैकफुट पर हैँ।
भारी बारिश के बाद भी नहीं डगमगाया हौसला
एसपी ने बताया कि यह ऑपरेशन इसलिए भी खतरनाक था क्योंकि भारी बारिश हो रही थी, और नदी नाले उफान पर थे। जिला मुख्यालय से 40-45 किमी दूर ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई नालों को पार करना पड़ा। सूचना पर जब मौके पहुंचने में देरी हुई तो भी हौसला नहीं डगमगाया और वापसी की जगह माओवाद की जड़े खत्म करने के लिए जवान आगे बढ़े। हालांकि इससे पहले भी बारिश में ऐसे मुहिम चलाए जा चुक हैं इसका फायदा इन जवानों ने भरपूर उठाया।
पंद्रह साल से पुलिस को थी रत्ती की तलाश
एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि रत्ती नेलनार एसओएस एरिया का कुख्यात माओवादी है। पुलिस को इसकी पिछले 15 साल से तलाश थी। इस इलाके में मुखबीर की शक में ग्रामीणों से लेकर जनप्रतिनिधि तक को मारने में इसकी भूमिका प्रमुख थी। पुसिल ने इस पर पांच लाख का इनाम भी रखा हुआ था।