जिसके कारण नक्सलियों ने अबूझमाड़ में नया फरमान जारी किया है। इसके तहत माड़ के करीब दो दर्जन गांवों में जन अदालत लगाकर ग्रामीणों के गांव छोड़ने पर बंदिश लगा दी है। गांव में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए हैं।
महिलाओं को राशन दुकान और आसपास के हाट-बाजार जाने की छूट दी गई है। जबकि युवाओं के साथ पुरुषों को जिला मुख्यालय जाने की सख्त मनाही है।अगर जाना बहुत जरुरी हो तो नक्सलियों की जनताना सरकार से अनुमति लेकर नक्सलियों के एक विश्वसनीय व्यक्ति के साथ ही जाने की इजाजत है।
आपको बता दें की इस फरमान की अवहेलना करने वाले आठ गांव के 31 परिवारों को नक्सली पहले ही गांव से भगा चुके हैं, जो जिला मुख्यालय में शरण लिए हुए हैं। मेटानार पंचायत के उपसरपंच लालूराम मंडावी ने बताया कि माड़ का माहौल गर्म है। गांव में आपसी मतभेद के चलते ग्रामीण नक्सलियों तक झूठी खबर भिजवाकर एक-दूसरे को मरवा रहे हैं। नक्सली बिना किसी ठोस आधार के जनताना सरकार के बहकावे में आकर लोगों की बेरहमी से हत्याएं कर रहे हैं।
मेटानार के ही डोगाए ने बताया कि नक्सलियों ने गांव में बैठक कर साफ कह दिया है कि कोई भी आदमी गांव छोड़कर कहीं नहीं जाएगा। आदेश न मानने वालों के साथ पुलिस का मुखबिर बताकर मारपीट की जा रही है। गांव से भगा दिया जा रहा है।
माड़ के टाहकाढोड, कदेर, ब्रेहबेड़ा, बालेबेड़ा, मेटानार, ताड़ोनार, गारपा, तुड़को, तुमेरादी, परियादी, ओरछापर, कोंगाली समेत कई गांवों में नक्सली बंदिश लगाने की सूचना है।
रोक लगाने की वजह
ग्रामीणों का कहना है की पिछले कुछ सालों से पुलिस उनके गांव आ रही है और नक्सलियों के ठिकाने तक पहुंच रही है। पुलिस गांव आकर यहाँ के लोगों से पूछताछ करती है और अगर उनके पूछताछ के बाद अगर कहीं मुठभेड़ हो जाती है तो नक्सली उन ग्रामीण को शक के आधार पर अपने घेरे में ले लेते हैं और उन्हें धमकी देते हैं और कई बार उनकी हत्या भी कर देते हैं ।