इतने पर भी उनकी दहशत गर्दी कम नहीं हुई, माओवादियों ने मृतक के परिजन व ग्रामीणों को चेतावनी देते हुए कहा कि घटना की जानकारी पुलिस व प्रशासन को नही होनी चाहिए। इस चेतावनी का असर यह हुआ कि ग्रामीणों ने पुलिस को वारदात की जानकारी नहीं लगने दी और शव का अंतिम संस्कार कर दिया। एक सप्ताह बीतने के बाद भी इस मामले की अब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।
लक्ष्मण खेती-किसानी करने के साथ ही आस-पास के इलाकों में ट्रैक्टर चलाने का काम भी किया करता था। इस सिलसिले में कभी-कभार गांव के बाहर आवाजाही करता था। यह बात माओवादियों को रास नहीं आई। नक्सलियों को शक हो गया था कि लक्ष्मण गांव से बाहर जाकर पुलिस के लिए मुखबिरी करता है। इसी बात पर 12 सितम्बर की रात वे उसके घर पहुंचे व पूर्वक उसे अपने ले गए।
सूत्रों के माध्यम से घटना की जानकारी मिली है लेकिन अपुष्ट जानकारी होने के कारण थाना प्रभारी को इस मामले पूरी जानकारी लेने के लिए निर्देश दिया गया है। मोहित गर्ग, एसपी नारायणपुर