नारायणपुर

बरसात के दिनों में नैय्या पार लगाने अबूझमाड़ियों ने लगाया दिमाक, जुगाड़ देख रह जाएंगे आप भी हैरान

* माआवेादियों (Naxal) से प्रभावित अबूझमाड क्षेत्रों में पुल-पुलिया का अभाव है जिससे ग्रामीणों (villagers) को बारिश के दिनों (rainy season) में बेतहासा समस्या का सामना करना पड़ता है। शिक्षा (Education) के आभाव के बाद भी गांव वालो की एकजुटता और सामूहिक एकता का परिचय देते हुए श्रमदान किया और पुल की कमी को पूरा करते हुए मुख्यालय (Headquarter) तक पहुंचने का जुगाड़ बनाया.

नारायणपुरJul 06, 2019 / 06:01 pm

CG Desk

बरसात के दिनों में नैय्या पार लगाने अबूझमाड़ियों ने लगाया दिमाक, जुगाड़ देख रह जाएंगे आप भी हैरान

नारायणपुर. घोर माआवेादियों (Naxal) से प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्रों मे कई जगहों पर पुल-पुलिया का अभाव बना हुआ है। इसके कारण ग्रामीणों को बरसात (rainy) के दिनों में मुख्यालय पहुंचने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ग्रामीण नदी-नालों पर पुल निर्माण के लिए प्रशासन के पास गुहार लगाते हैं लेकिन इनकी गुहार पर सदियों बाद भी अमल नहीं होने के कारण अबूझमाड़ियों, ग्रामीणों की लकडीनूंमा पुल से नैय्या पार हो रही है।
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बरसात (rainy) शुरू होने के पूर्व अबूझमाड़ (Abusive) के ग्रामीणों ने सामूहिक एकता का परिचय देकर श्रमदान से नदी-नालों पर लकड़ीनूमा पुल का निर्माण किया जाता है । जिससे बरसात के दिनों में आवागमन कर मुख्यालय (Headquarter) पहुंचकर अपनी जरूरतों को पूरा करते है।
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जानकारी के अनुसार जल-जंगल-जमीन का नारा लेकर 80 के दशक में पैठ मजबूत कर चूकें माओवादी (Maoist) आदिवासी ग्रामीणों को अपना हितैशी बताने का ढिंढोरा पीटने में कोई कसर नहीं छोडते है। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और बया करते है। जिसका उदाहरण अबूझमाड इलाके में साफ तौर पर देखने को मिलता है।
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अबूझमाड़ क्षेत्र के अधिकांश जगह पर पुल-पुलिया अभाव होने के कारण इन जगहों को पहुंच विहिन क्षेत्रों में शामिल किया गया है। जिससे बरसात के दिनों में ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पडता है। इन परेशानियों निजात दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा पहुच विहिन क्षेत्रों में नदी-नालों पर पुल निर्माण के लिए कई बार पहल की जाती है।
लेकिन पहुंच विहिन क्षेत्र के नदी-नालों पर पुल निर्माण के लिए माओवादियों ने अघोषित रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके कारण अबूझमाड़ अंचल के अधिकांश नदी-नालों पर पुल निर्माण के लिए माओवादी रोडा बने हुए है। बरसात के दिनों में इन नदी-नालों में पानी होने के कारण कई गावों का सम्पर्क मुख्यालय से कट जाता था। जिससेे ग्रामीणों को अपने रोजर्मरा की सामानों की खरीदी करने सहित आश्यक वस्तुओं की पूर्ति करने के लिए दो चार होना पडता था।
इन परेशानियों को देखते ग्रामीण गांव में बैठक कर नदी-नालों पर लकडी से पूल निर्माण का निर्णय लेते है। इसके बाद जंगल से लकडी काटकर उसे कंधो में बोहकर पूल निर्माण वाले स्थान तक लाकर लकडी को एक साईज में काटने के बाद पुल वाली जगह पर बिछा दिया जाता है। वही इस लकडी के उपर बांस चिलपियों की चादर बिछाने के बाद इसके माध्यम से बरसात के दिनों में दो पहिया वाहन सहित साईकिल एंव ग्रामीण आसानी से आवागमन कर अपने जरूरतों के सामानों की खरीदी करने सहित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुख्यालय पहुचते है।

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