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नरसिंहपुर

नशे की लत छुड़ाने को एक दशक से चल रहा अभियान, नतीज शिफर

-प्रशासन ने देश व्यापी नशा मुक्ति अभियान के तहत कमेटियां गठित कर जिम्मेदारी पूरी कीं

नरसिंहपुरOct 11, 2020 / 05:34 pm

Ajay Chaturvedi

नशीला पदार्थ

नशीला पदार्थ

नरसिंहपुर. प्रदेश का यह जिला नशे की लत के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है। युवा हों या प्रौढ हर उम्र के लोग मिल जाएंगे तरह-तरह के नशे के लती। इन लोगों की नशे की लत छुड़ाने और नए लोगों को नशे से दूर रखने के लिए जिले में एक दशक से अभियान चलाया जा रहा है। कई इलाके चिन्हित किए गए हैं जहां नशे के लती लोगों की तादाद ज्यादा है। लेकिन फर्क कुछ नहीं पड़ा। प्रशासन ने नशा मुक्ति कमेटियां गठित कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली तो पुलिस जब-तब कुछ नशे की सामाग्री बेचने वालों की गिरफ्तारी कर उसे ही अपनी उपलब्धि बताने से गुरेज नहीं करती। ऐसे में सब कुछ यथावत जारी है।
बता दें कि नशा मुक्ति के प्रदेश सरकार ने 11 साल पहले अभियान शुरू किया। इसके तहत अति संवेदनशील 35 गांवों को चिन्हित किया गया। एक दशक पूर्व हुए चिन्हीकरण के तहत तेंदूखेड़ा व ठेमी थाना क्षेत्र के 6-6 गांव, सुआतला थाना के 5, करेली के 4, गोटेगांव व स्टेशनगंज थाना के 3-3, कोतवाली, पलोहाबड़ा, गाडरवारा थाना के 2-2 गांव हैं। दिन, महीना, साल बीतते गए पर रंच मात्र भी सुधार इन गांवो में देखने को नहीं मिला। लोगों का कहना है कि सुधार तो तब होता जब कोई कार्रवाई होती। यहां तो इन 11 सालों में कुछ भी नहीं हुआ। ये गांव शराब, स्मैक सहित कई तरह के नशे की गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। पीड़ित गांवों में परिवार के परिवार तबाह हो गए। बर्बाद हो गए। जर-जमीन सब बिक गया।
अब हाल ही में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने नशा मुक्ति भारत अभियान के तहत जिले को चयनित किया है। इसके तहत 35 गांवों में नशामुक्ति अभियान चलाया जाना है। लेकिन यह अभियान कब शुरू होगा, कौन इसकी मानीटरिंग करेगा। इसके लिए अभी तक कोई योजना ही नहीं बनी है। नतीजा कहीं कोई गतिविधि भी नहीं दिख रही है।
लोगों का कहना है कि इस योजना का भी हस्र 11 साल पहले वाली प्रदेश स्तरीय योजना की ही तरह होता दिख रहा है। कहने को कागजों पर वर्तमान में भी नयागांव सहित इन सभी भियान के अंतर्गत पंचायत सचिव, पटवारी, आशा, स्कूलों के अध्यापक, महिला शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित बच्चों भूमिका निर्धारित की गई है। लेकिन वास्तविकता के धरातल पर देखें तो कहीं कोई गतिविधि नहीं हो रही है।
नशामुक्ति अभियान के तहत चिन्हित गांवों में गार्जियन क्लब की स्थापना की जानी थी। इन क्लबों में संबंधित गांवों के वरिष्ठों को शामिल करना था, लेकिन ऐसा करने में भी सरकारी मशीनरी नाकाम साबित रही। अब तक एक भी गार्जियन क्लब नहीं बनाया जा सका है।
फिलहाल मार्च से तो हर कोई कोरोना से ही जूझ रहा है, ऐसे में नशा मुक्ति अभियान की किसे पड़ी है। हर कोई कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने और बचाने में जुटा है। सरकारी मशीनरी भी इसी एक मुहिम का हिस्सा बन कर रह गई है। ऐसे में चौरतरफा उदासीनता ने देशव्यापी नशा मुक्ति अभियान फिलहाल ठंडे बस्ते में ही नजर आ रहा है।
“नशामुक्ति भारत अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए हमने जिले में कुछ समितियां बना दी हैं। इसके अंतर्गत कार्य भी हो रहा है। कोरोना काल में सभी कार्य आवश्यक हैं और हो रहे हैं। किसी गतिविधि को रोका नहीं गया है।”-वेदप्रकाश शर्मा, कलेक्टर नरसिंहपुर
“जिले में नशामुक्ति के साथ अन्य अपराधों की रोकथाम के लिए भी 35 गांव ही नहीं बल्कि पूरे जिले में कार्रवाई चल रही है। अभी कोरोनाकाल चल रहा है तो जागरूकता के लिए गतिविधियां सीमित हो गईं हैं। कोरोना संक्रमण से खुद को व अन्य लोगों को बचाना भी जरूरी है। हालांकि जिले के विभिन्न थानों में पुलिस ने जिले में गांजा, शराब, स्मैक, चरस पकड़ने जैसी कई बड़ी कार्रवाई की हैं। इस पर हम अधिक फोकस कर रहे हैं।”-अजय सिंह, पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर

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