खरीदी केंद्रों पर धान लेकर नही पहुंच रहे किसान
कोई कर रहा चुनाव परिणाम का इंतजार तो किसी के मोबाइल पर नहीं आया एसएमएस तुलाई मजदूरों का नही निकल रहा मेहनताना, खरीद केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
सालीचौका। इस समय दिसंबर के महीने में पूर्व के बरसों में जहां एकओर धान खरीदी केंद्रों पर तुलाई के लिए पैर रखने को जगह नहीं रहती थी। वहीं इस वर्ष विधानसभा चुनाव के हो जाने के बाद भी धान खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। कई किसानों के पास समय पर एसएमएस नहीं आ रहे। वहीं कुछ किसानों के खरीदी केंद्रों में सॉफ्टवेयर पर उनका नाम शो नहीं कर वहीं दूसरी ओर कुछ किसान चुनावी वादे के झमेले में पड़कर अपनी धान रोके हुए हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि आने वाली सरकार उनका कर्जा माफ करेगी। बताया जाता है कि खरीदी केंद्र पर धान बेचने के बाद भुगतान के पूर्व उनके कर्ज की राशि काटी जाती है। इसी के चलते खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं पर ऐसे कई खरीदी केंद्र हैं, जहां पर तुलाई के लिए बिहार और मध्यप्रदेश के कोने कोने से मजदूरी के लिए श्रमिक आए हुए हैं। लेकिन धान लेकर किसान खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहा है। जिसके चलते खरीदी केंद्रों में कम तुलाई हो रही है। इससे तुलाई हम्मालों का भी मेहनताना नहीं निकल पा रहा। ऐसे में बाहर से आए मजदूर अपना खर्चा गांठ के पैसों से चला रहे हैं। हो सकता है कि चुनाव परिणाम आने के बाद खरीदी केंद्रों पर कृषक पहुंचें। लेकिन वर्तमान स्थिति में धान खरीदी केंद्रों पर इस समय किसानों की आवक बहुत नाममात्र की है। वहीं पर हजारों क्विंटल धान इस समय खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है। जिसके चलते मौसम बदलने से किसानों में चिंता बढ़ गई है। खरीदी केंद्र पर धान बेचने के बाद भुगतान के पूर्व उनके कर्ज की राशि काटी जाती है। इसी के चलते खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं पर ऐसे कई खरीदी केंद्र हैं, जहां पर तुलाई के लिए बिहार और मध्यप्रदेश के कोने कोने से मजदूरी के लिए श्रमिक आए हुए हैं। लेकिन धान लेकर किसान खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहा है। जिसके चलते खरीदी केंद्रों में कम तुलाई हो रही है। इससे तुलाई हम्मालों का भी मेहनताना नहीं निकल पा रहा। ऐसे में बाहर से आए मजदूर अपना खर्चा गांठ के पैसों से चला रहे हैं। हो सकता है कि चुनाव परिणाम आने के बाद खरीदी केंद्रों पर कृषक पहुंचें। लेकिन वर्तमान स्थिति में धान खरीदी केंद्रों पर इस समय किसानों की आवक बहुत नाममात्र की है। वहीं पर हजारों क्विंटल धान इस समय खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है। जिसके चलते मौसम बदलने से किसानों में चिंता बढ़ गई है।
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