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नरसिंहपुर

बदहाली झेल रहे सरकारी स्कूल

टाउन स्कूल में बची नाममात्र की दर्ज संख्या
इस बार महज सात बच्चों ने लिया पहली में प्रवेश

नरसिंहपुरNov 12, 2018 / 06:32 pm

ajay khare

town school

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गाडरवारा। पिछले वर्षों में सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या किस प्रकार कम हुई है। वह नगर के प्रायमरी टाउन हाल प्रायमरी स्कूल की स्थिति से साफ दिख रही है। लोगों के बताए अनुसार आरटीई के तहत गरीबों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश की एक शासकीय योजना के द्वारा ही सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने वालों की संख्या और घट गई है। इस स्कूल में सरकार के स्कूल चले हम और सर्वशिक्षा अभियान जैसी योजनाओं के बाद भी पहली क्लास में जितने छात्र छात्राओं ने प्रवेश लिया है वह आंकड़ा दहाई में भी नहीं पहुंच सका है और मात्र सात छात्र छात्राओं ने इस वर्ष पहली कक्षा में प्रवेश लिया है। चूंकि यह प्रायमरी स्कूल कक्षा एक से पांचवीं तक ही है। यदि स्कूल में पहली कक्षा में प्रवेश लेने वालों की यही स्थिति रही और दर्ज संख्या इससे भी कम होती गई तो स्कूल आने वाली पंचवर्षीय में बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा। इस स्कूल में अभी पहली से कक्षा पांचवी तक जो छात्र छात्राओं की संख्या बताई है वह 61 है और इन छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिए जो शिक्षक हैं उनकी संख्या तीन है। जिसमें एक प्रधानाचार्य शामिल है। याने जब शिक्षक एक किसी क्लास को पढ़ा रहे होते हैं तो दूसरी क्लास के छात्र या तो खाली बैठते होंगे या फिर शिक्षक एक साथ विभिन्न क्लास के बच्चों को साथ बिठाकर पढ़ाते होंगे।
मजेदार बात यह है कि इस स्कूल से चंद कदमों की दूरी पर दो प्राइवेट स्कूल संचालित हो रहे हैं। जिनमें छात्र छात्राओं की कोई कमी नही है और स्टाफ भी पर्याप्त है। तो क्या यह माना जाये की सरकारी स्कूल इस बदतर होती हालत पर क्षेत्र के जिम्मेदारों ने कभी ध्यान ही नही दिया और सरकारी योजनाओं की मात्र खानापूर्ति पर ही ध्यान रहा।
अंग्रेजों के जमाने में बने इस स्कूल के भवन की हालत भी अंदर से काफ ी खराब हो चुकी है और कमरों के अलावा अलग से बने हुये बाथरूम में कुछ पर छतिग्रस्त लिख दिया गया है। कुछ वैसे ही उपयोग करने लायक नही है। इस स्कूल में बनाए गए अतिरिक्त कक्ष स्कूल में गिनती के बचे छात्र छात्राओं के कारण खाली पड़े रहते हैं।
इस प्रायमरी टाउन स्कूल का उपयोग विभिन्न चुनाव कराने के लिए भी मतदान केंद्र के रूप में किया जाता है, और यदि स्कूल की वर्तमान स्थिति देखी जाए तो यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी की आगे चलकर यह स्कूल सिर्फ मतदान केंद्र होकर रह जाएगा। लोगों ने नगर की ऐतिहासिक धरोहर समेटे इस स्कूल की ओर जिम्मेदारों से ध्यान देकर व्यवस्थाएं एवं दर्ज संख्या बढ़ाने की अपेक्षा जताई है।
इनका कहना,
आजकल अधिकतर लोग शासकीय स्कूलों की ओर से मुंह मोडऩे लगे हैं। जबसे आरटीई के तहत प्राईवेट स्कूलों में गरीबों के बच्चों के प्रवेश होने लगे हैं, तब से सरकारी स्कूलों में प्रवेश कम हुए हैं। गिने चुने लोग ही शासकीय स्कूलों में बच्चों के नाम लिखाते हैं।
पूरनलाल कोरी, प्रधानपाठक

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