यहां सतरंगी हुई जेल, कैदियों ने दीवारों को बनाया कैनवास, उतारे जिंदगी के रंग
मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने….। यह फिल्मी गीत चरितार्थ हुआ इस होली पर यहां की सेंट्रल जेल में जहां बंदियों ने दीवारों को कैनवास बनाया, गीत गुनगुनाए अपने बीते कल को याद किया
अजय खरे। नरसिंहपुर। मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने….। यह फिल्मी गीत चरितार्थ हुआ इस होली पर यहां की सेंट्रल जेल में जहां बंदियों ने दीवारों को कैनवास बनाया, गीत गुनगुनाए अपने बीते कल को याद किया और सुनहरे सपनों को चित्रों के माध्यम से साकार किया। इस काम में अपना हुनर उन बंदियों ने भी दिखाया जो कल ही यहां आए थे और उन बंदियों ने भी जिनका लंबा जीवन इस जेल की ऊंची चहारदीवारों के भीतर गुजर गया।
जेल की जीवन ब्लैक एंड व्हाइट माना जाता है, यहां रहने वाले कैदियों के पश्चाताप, अपराधबोध और नैराश्य के स्याह रंग से भरे जीवन को सतरंगी बनाने के लिए जेल अधीक्षक शेफाली तिवारी ने एक अनूठी पहल की उन्होंने इत्यादि फाउंडेशन नाम के आर्ट ग्रुप को अपने यहां आमंत्रित किया और कैदियों के बेरंग जीवन को उत्साह और उमंग के रंगों से भरने को कहा। आर्ट फाउंडेशन के विनय अंबर, सचिव सुप्रिया अंबर और उनकी टीम ने जेलर, जेल के बंदियों के साथ मिल कर एक रंग कार्यशाला का आयोजन किया और जेल की दीवारों को रंगने के साथ ही सलाखों के बीच कैद बंदियों की भावनाओं के आसमान को रंग भरे सपनों के बादलों से आच्छादित कर दिया।
रंगशाला में कैदियों के हाथ में रंग से भरी बाल्टियां थमा कर उनसे कहा कि अपनी पूरी ताकत से इन रंगों को गगन तक उछाल दें। हमेशा बंदिशों में जीने वाले बंदियों को जब रंगों से खेलने का मौका मिला तो उनका तन-मन खिल उठा। रंगों की बौछार ऐसी हुई कि देखते देखते जेल की दीवारें सतरंगी हो गईं। जिसके बाद आर्ट ग्रुप इत्यादि फाउंडेशन के विनय अंबर, सुप्रिया अंबर, प्रीति तिवारी, गुल पहराज, निहाल मिश्रा, रवींद्र तिवारी, सोबित जैन, भारती कुलस्ते केे साथ जेल के बंदी सतीश व अन्य ने रंगों की छाप को पेड़ पौधों व प्रकृति की अन्य खूबसूरत आकृतियोंं में बदल दिया। इस दौरान बंदी वीरू ने अपने जीवन को लेकर कविता सुनाई तो अन्य बंदियों ने भी $गुनगुनाते हुए चित्रों में रंग भरने में मदद की। जेल अधीक्षक शेफाली ने भी चित्र बनाए । होली के अवसर पर आयोजित की गई इस रंग कार्यशाला ने बंदियों के जीवन को उत्साह से भर दिया। कैदियों ने कहा कि प्रायश्चित्त और अपराधबोध पर सुनहरे कल केे रंग चढ़ गए हैं। जेल से बाहर जाने पर वे अपने जीवन के रंगों को शेष जीवन में साकार करने का प्रयास करेंगे।
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वर्जन
बंदियों का जीवन बेरंग हो जाता है हमने इस रंग कार्यशाला के माध्यम से उनके जीवन में रंग घोलने का प्रयास किया है। इसमें बंदियों ने आगे बढक़र काम किया, उनके जीवन में रचनात्मकता देखने को मिली।
विनय अंबर, इत्यादि फाउंडेशन
वर्जन
ेजेल को सुधारगृह का नाम दिया गया है, जेल के भीतर बंदी निराशा से भर जाते हैं, उन्हें इससे बाहर निकालने, उनके जीवन में उत्साह पैदा करने व रचनात्मकता को उभारने के लिए रंग कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें उन्होंने अपनी बौद्धिकता व कलात्मकता का परिचय दिया।
शेफाली तिवारी, जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल नरसिंहपुर।
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