जिले की ४५७ ग्राम पंचायतों पर जिले में महज १० दमकल वाहन हैं जिन पर कहीं भी आग लगने पर उसे बुझाने की जिम्मेदारी है। आग से लडऩे के लिए जो स्टाफ तैनात किया गया है वह जुगाड़ का है। इनमें तैनात कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी हैं जिन्हें शासन की ओर से फायर फाइटिंग का किसी तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। कई जगह तो नगर पालिका के ट्रैक्टर चलाने वाले ड्राइवरों को ही दमकल का ड्राइवर बना दिया गया है जो अपनी सूझबूझ से वाहन को घटनास्थल तक ले जाते हैं। शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई दमकलों पर तैनात स्टाफ को स्थानीय होमगार्ड द्वारा आपदा प्रबंधन के तहत जरूर साधारण तौर पर प्रशिक्षण दिया गया है पर किसी विशेषज्ञ द्वारा कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई। जिला मुख्यालय पर नगर पालिका के पास चालू हालत में ३ दमकल हैं चौथी कंडम हो चुकी है।
न वर्दी न किट न समय पर वेतन
जिला मुख्यालय पर कार्यरत दैनिक वेतन भोगी फायर फाइटरों को तो समय पर वेतन तक नहीं मिल पाता। इन्हें न तो किसी तरह की किट दी गई है और न ही इनके पास वर्दी है।
नगर पालिका करेली के पास मात्र एक दमकल है पर फायर फायटर नहीं है। जिस पर ६४ पंचायतों में कहीं भी आग लगने पर बुझाने की जिम्मेदारी है। करेली से लगे चीचली ब्लाक के पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में भी यही दमकल एक मात्र सहारा है। स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय से कम से कम ५ दमकलों की मांग की जा रही है। तेंदूखेड़ा में एक दमकल है पर प्रशिक्षित फायर फायटर नहीं है।
वर्जन
आगजनी से निपटने के अनुभवी स्टाफ ही आग बुझाने जाता है। आगजनी की घटनाओं में समय पर आग पर काबू पा लिया जाता है।
केएस ठाकुर, सीएमओ