जैन मुनि योग सागर महाराज ने धर्मसभा में लोगों को बताई गूढ़ बातें
नरसिंहपुर•Mar 28, 2019 / 11:27 pm•
narendra shrivastava
Knowing these two things
गोटेगांव। इस संसार में रहने वाले प्राणी को सब कुछ ज्ञात है कि क्या करने से क्या फल प्राप्त होता है। वह सब सुनता है सब कुछ समझता है। मगर जब करने की बारी आती है तो वह उससे पीछे हो जाता है जिसके कारण वह संसार रूपी सागर में भटकता रहता है। आत्मा और शरीर अलग-अलग है मगर उसको अच्छे से समझ नहीं पाए हैं जिस दिन मानव इन दोनों को अच्छे से जान लेगा उस दिन उसका कल्याण हो जाएगा। इस संसार में जो कुछ हो रहा है वह मानव के कर्म के अधीन ही हो रहा है। उक्त विचार जैन मुनि योग सागर महाराज ने धर्मसभा में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि इस जगह और शरीर का चिंतन करने से बैराग्य की प्राप्ति होती है। मुनि बनने के बाद भी अपने लक्ष्य को विस्मृत कर जाते हैं जिसके कारण भटकन संसार में बनी रहती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य पर्याय ही ऐसा पुरूषार्थ है जिसके माध्यम से इंसान अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। भगवान सिर्फ मार्ग बता सकते हैं इंसान को अपने जीवन को कल्याणकारी बनाने के लिए स्वयं जतन करना होगा।
उन्होंने कहा कि मानव धर्म मार्ग पर चल कर मानव जीवन को सार्थक बनाते हुए आत्मा का कल्याण करने का प्रयास करे वरना इंसान को पछताने के अलावा कुछ भी अर्जित होने वाला नहीं है।
मुनि अतुल सागर महाराज ने कहा कि अनादिकाल से जीवन संसार में जनम मरण के चक्र में फंस कर दुखों को सहने के बाद मानव पर्याय को प्राप्त करता है ताकि वह अपने जीवन को सार्थक बनाते हुए जीव का कल्याण कर सके मगर वह इस संसार में आने के बाद वह अपने वास्तविक लक्ष्य को भूल कर विलासता में लिप्त हो जाता है। उन्होंने भारत में मनाए जाने वाले महापर्व पंचकल्याणक पर्व कहलाता है। यह महोत्सव पर्व प्राणी कल्याण का कारण बनता है।
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