बाइक से गांव गांव जाकर दिए एवं प्रतिमाएं बेची जा रही हैं
नरसिंहपुर•Nov 04, 2018 / 02:49 pm•
ajay khare
deepawali
गाडरवारा। दीपोत्सव दीपावली के आने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। जिसकी जगह जगह अंतिम तैयारियां जारी हैं। बदलते समय के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में दीपावली के मिटटी के दीपक एवं लक्ष्मी प्रतिमाएं बेचे जाने के तरीके में भी आधुनिकता का असर दिखाई देने लगा है। ज्ञात रहे कि गांवों के कुंभकार समाज के लोग मिटटी के दिए एवं लक्ष्मी प्रतिमाएं बनाते हैं। जो पहले उक्त सामग्री गधे पर लाद कर बेचने जाते थे। वहीं बदले दौर में उक्त सामग्री गधे पर रखने वाली लकड़ी की काठी को मोटर साइकल पर रख कर बाइक से गांव गांव जाकर दिए एवं प्रतिमाएं बेची जा रही हैं। शुक्रवार को समीपी ग्राम गरधा, निवारी में ऐसे ही एक व्यक्ति को उक्त सामान बाईक पर रख कर बेचते देखा गया। पूछने पर बताया कि गधे की संख्या कम होने लगी है। क्योंकि चारे पानी के संसाधन कम हो गए हैं। पहले हमारे पूर्वज गधों पर या सिर पर सामान लाद कर एक दिन में कुछ ही किमी जा पाते थे। वहीं बाईक से कई गांवों में जाकर सामान बेच लेते हैं। लेकिन अधिकतर गांवों में भी लोग शहर से खरीदकर दीपक, प्रतिमाएं लाने लगे हैं। इससे हमारी बिक्री कम हो पाती है। बहरहाल बदलते समय के साथ दूधवालों से लेकर अनेक छोटे मोर्ट रोजगार करने वालों को बाईक के सहारे रोजगार करते देखा जाता है। शुक्रवार को समीपी ग्राम गरधा, निवारी में ऐसे ही एक व्यक्ति को उक्त सामान बाईक पर रख कर बेचते देखा गया। पूछने पर बताया कि गधे की संख्या कम होने लगी है। क्योंकि चारे पानी के संसाधन कम हो गए हैं। पहले हमारे पूर्वज गधों पर या सिर पर सामान लाद कर एक दिन में कुछ ही किमी जा पाते थे। वहीं बाईक से कई गांवों में जाकर सामान बेच लेते हैं। लेकिन अधिकतर गांवों में भी लोग शहर से खरीदकर दीपक, प्रतिमाएं लाने लगे हैं। इससे हमारी बिक्री कम हो पाती है। बहरहाल बदलते समय के साथ दूधवालों से लेकर अनेक छोटे मोर्ट रोजगार करने वालों को बाईक के सहारे रोजगार करते देखा जाता है।
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