प्रवेश द्वार तक आया पानी
नर्मदा नदी का जल स्तर रात भर बढ़ता गया और वह सुबह झांसीघाट के प्रवेश द्वार तक आ गया। इस हिस्से में जो मकान और दुकान और ठेले रखे हुए थे उसके आस पास बाढ़ का पानी आ गया था। नर्मदा तट के ऊपरी हिस्से में जो दुकान लगाने वाली झोपडिय़ां मौजूद थी वह पूरी तरह से डूब गई थी। उनके ऊपर का कुछ हिस्सा नजर आ रहा था। नर्मदा तट पर रहने वाले लोग ही उक्त टापू पर मौजूद थे। जो अपनी नाव और ठेलों की रखवाली कर रहे थे।
सहायक पुल भी डूबे
नर्मदा नदी झांसीघाट के पुल के पूर्व सहायक नदी घुघरा पर बना पुल भी डूब गया। नर्मदा नदी का पानी सहायक नदियों में उल्टा भर जाने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई। नर्मदा तटों के हिस्से में जिन लोगों ने अपनी खरीफ की फसल लगाई थी। वह कई जगह पर पानी में डूब जाने से उनको नुकसानी उठानी पड़ रही है। बेलखेड़ी टपरियां के किसानों को भी नर्मदा नदी का पानी उल्टा भरने के कारण फसल डूबने से नुकसानी उठानी पड़ रही है। किसानों ने बताया कि २०१२ में भी इस तरह की बाढ़ आई थी। उसके बाद अब आई है। उस समय भी खरीफ की फसलें किसानों की नर्मदा के जल में डूब गई थी।
धर्मशाला का दिख रहा ऊपरी हिस्सा
नर्मदा नदी के मुआरघाट पर ग्राम पंचायत ने नर्मदा परिक्रमा के सदस्यों को रूकने के लिए घाट जाने वाले रास्ते पर ऊपरी ओर धर्मशाला का निर्माण कराया था। मगर नर्मदा नदी में आई बाढ़ के कारण उक्त धर्मशाला तक डूब गई। धर्मशाला के अंदर साप्ताहिक महाआरती कराने वाली समिति का सामान आदि रखा था। जिसको बाढ़ आने के पूर्व खाली करके अन्य स्थल पर ले जाया गया। यहां पर जिस स्थल से नर्मदा जल गोटेगांव आना है। उस स्थल का आधा टावर डूब गया। नर्मदा स्नान करने वाले लोग सडक़ पर भरे नर्मदा पानी में स्नान करके वापस आ गए।
रात को एक फीट बचा पानी
रात्रि 8 बजे पुल के ऊपर से एक फीट बन रहा था। यहां के लोगों ने बताया कि पांच गेट बंद होने से दोपहर के बाद थोड़ा थोड़ा पानी उतरने लगा था। अगर बारिश नहीं होती और डैम के गेट फिर से नहीं खोले जाते हैं तो देर रात तक पुल से पानी उतरने की उम्मीद है।