शराब दुकानों के एक्ट के दायरे में आने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग के फूड सेफ्टी ऑफिसर हर माह शराब ठेके पर पहुंचकर सैंपल लेंगे। इसके बाद सैंपलों को जांच के लिए भोपाल भिजवाया जाएगा। वहां पर इथाइल अल्कोहल की मात्रा में हेराफेरी या दूसरी मिलावट पाई गई तो ठेकेदार पर कार्रवाई शुरू की जाएगी। कार्रवाई में जुर्माना और जेल का भी प्रावधान शामिल है।
जिले में ५४ शराब की दुकानें हैं। इनमें १८ अंग्रेजी और ३६ देशी शराब ठेकेदार हैं। एक भी ठेकेदार के पास फूड लाइसेंस नहीं है। बार संचालकों को भी लाइसेंस लेने की अनिवार्यता है, लेकिन अब तक बार संचालकों ने भी फूड लाइसेंस नहीं लिए। बिना लाइसेंस की शराब परोस रहे हैं।
सोनू तिवारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी
आरके बघेल, जिला आबकारी अधिकारी