जानकारी के अनुसार नगर पालिका से भवन निर्माण की अनुमति प्राप्त करने के लिए यह शर्त रखी गई है कि १५०० वर्ग फीट और इससे अधिक क्षेत्रफल के भवन निर्माण में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जरूरी होगा। जिसके लिए 7000 से लेकर 10000 रुपए तक की अमानत राशि एफडीआर के माध्यम से जमा कराई जाती है। भवन स्वामी द्वारा वॉटर हार्वेस्टिंग न लगाने पर नपा द्वारा अमानत राशि से सिस्टम बनाने का नियम है यदि भवन मालिक वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाता है तो उसे अमानत राशि वापस कर दी जाती है। यहां लोग भवन निर्माण की अनुमति प्राप्त करने वॉटर हार्वेस्टिंग की अमानत राशि तो जमा कर रहे हैं पर न तो खुद वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा रहे हैं और न ही नगर पालिका बना रही है। भवन मालिकों और नगर पालिका की उदासीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर पालिका के पास करीब २०० लोगों की वाटर हार्वेस्टिंग की अमानत राशि जमा है पर भवन निर्माण के बाद उसे भवन मालिकों ने वापस नहीं लिया है। नगर पालिका के पास करीब १४ लाख रुपए की राशि वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर जमा है। नपा ने आज तक इस बात की जांच नहीं कि है कि कितने भवन मालिकों ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाया ताकि नपा भवन मालिक द्वारा जमा कराई गई वाटर हार्वेस्टिंग राशि से उसका निर्माण करा सके।
प्रशासन भी उदासीन
प्रशासन स्तर पर हर वाटर हार्वेस्टिंग की बात की जाती है, लेकिन दूसरी ओर वस्तुस्थिति यह है कि यहां प्रशासन के सबसे बड़े केंद्र संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन में ही आज तक वॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम नहीं है। इसके अलावा मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला अस्पताल और अन्य कई बड़े भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है। शासकीय एजेंसियों द्वारा बनाए जा रहे नए भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाए जा रहे हैं।
इनका कहना है
वाटर हार्वेस्टिंग के लिए करीब २०० भवन मालिकों ने राशि जमा की है, जिन्हें वापस लेने के लिए उनके द्वारा कोई क्लेम नहीं किया गया। ऐसे भवन मालिकों से कहा जाएगा कि यदि उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा लिया है तो वे राशि वापस ले जाएं। फिलहाल नपा द्वारा किसी भवन में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं लगाया गया है।
संजय तिवारी, उप यंत्री नगर पालिका