इस गांव की खासियत यहां के निवासियों से है। खास बात ये कि इस गांव के वो निवासी जिनी सरकारी नौकरी लग जाती है, वो सेवानिवृत्ति के बाद जब गांव लौटते हैं तो वो गांव के विकास में आर्थिक योगदान देते है। इस गांव के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा का इंतजाम है। बच्चे रोजाना स्कूल जाते ही हैं।
लेकिन लगभग 2500 की आबादी वाले इस गांव की सबसे ज्यादा जो प्रभावित करने वाली बात है वो ये कि इन गांव वासियों को स्वच्छता सबसे ज्यादा पसंद है। तभी तो यहां आपको कहीं गंदगी नहीं मिलेगी। कहने को गांव है पर जलनिकासी का ऐसा प्रबंध कि शहर भी शर्मा जाए। गांव में कभी कहीं पानी नहीं लगता। सभी नालियां भूमिगत हैं। इतना ही नहीं गांव पूरी तरह मच्छर मुक्त है। गांव में गोबर गैस प्लांट में भी है। छोटी सी आबादी के इस गांव में 55 से अधिक बायोगैस संयंत्र हैं। खाना पकाने, घरों को रोशन करने के लिए बायागैस का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए गांव के 25 गड्ढों में गोबर इकट्ठा कर बायोगैस बनाया जाता है। अधिकांश घरों में रसोई गोबर गैस की मदद से ही चलती है।
ये है नरसिंहपुर का रघुवार गांव। इस गांव की साक्षरता दर 100 फीसद है। ग्रामीणों ने खुद ये सुनिश्चित किया कि छात्र स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित हों इसके लिए दोपहर का भोजन स्कूल में ही उपलब्ध कराया जाए। बच्चों के विकास में खेल के महत्व को समझते हुए ग्रामीणों ने धामनी नदी के बगल में एक मिनी स्टेडियम, एक इनडोर हॉल और एक स्विमिंग पुल भी बनवाया है।
इस गांव की एक और खासियत यह कि यहां की हरिजन बस्ती, गांव के बीचो बीच बसायी गई है। गांव में सभी जातियों कि बस्तियां अलग-अलग हैं। लेकिन हरिजन बस्ती को गांव की सबसे सुंदर बस्ती का दर्जा हासिल है। लोग सुबह-शाम इसी बस्ती में सैर करने जाते हैं। हर बस्ती के बाहर प्रवेश द्वार है जिसे ग्राम पंचायत ने बनवाया है। इस गांव में जाने के लिए पहले सड़क नहीं थी लेकिन उसे भी ग्रामीणों ने मिलकर 3 किमी लंबी सड़क बनवा दी। बाद में सरकार की मदद से सीमेंटेड सड़क बनाई गई।
गांव की राजनैतिक चेतना का स्तर इतना ऊंचा है कि यहां पंचायत चुनाव नहीं होते रहे। ग्राम पंचायत के सभी सदस्यों और सहकारी समितियों को आम सहमति से नियुक्त किया जाता रहा। गांव के अधिकांश निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं। यहां के लोगों ने पहली बार 2014 में सरपंच चुनाव को देखा, मतदान किया।