सुंदर बगिया में डेढ़ सौ वर्ष पुराना चम्पा का पेड़, वर्षाे से जल रही अखंड ज्योतधार्मिक, पर्यावरण संरक्षण के साथ गौसेवा पर भी जोर
नरसिंहपुर•Mar 13, 2019 / 12:18 pm•
ajay khare
Hanuman
गाडरवारा। नगर के शहीद भगत सिंह वार्ड स्थित बजरंग वाटिका में प्रकृति के सानिध्य में पवनसुत हनुमान विराजे हैं। यहां दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर अपने आप में अनेक खूबियां लिए हुए है। मंदिर परिसर में पुरानी हनुमान मढिय़ा तथा इसी से सटा चंपा का विशाल पेड़ है, जिन्हें वार्ड वासियों ने सौ-डेढ़ सौ वर्ष से भी प्राचीन बताया है। कहते हैं चंपा का पेड़ इतना बड़ा एवं पुराना नहीं होता, लेकिन यहां लगा पेड़ अपने आप में एक बड़ी धार्मिक धरोहर है। जहां पुरानी मढिय़ा बनी है, वहीं भव्य हनुमान मंदिर निर्माण की प्रेरणा आस्थावान लोगों को मिली। जिसके चलते बजरंग वाटिका सदस्यों की समिति का गठन हुआ। 1995 के दौर से सदस्यों द्वारा यहां नाले किनारे की ढलानदार खाई को श्रमदान कर मिट्टी का पुराव कर समतलीकरण एवं जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ किया गया। सभी वाटिका सदस्यों के अथक मेहनत व श्रमदान एवं जनसहयोग के परिणाम स्वरुप बजरंग वाटिका मंदिर निर्माण संभव हो सका। जहां सन 1996 में भगवान हनुमान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर बजरंग वाटिका को आकर्षक स्वरूप दिया गया। इस दौरान जनसहयोग और वाटिका सदस्यों ने श्रमदान से बजरंग वाटिका में अतिसुंदर बगीचा तैयार कर सौंदर्य स्वरूप पेड़ पौधे फूल फुलवारी तथा फुहारा स्थापित किया गया, जो नगरवासियों तथा बाहर से आए लोगों के लिए धार्मिक के साथ एक दर्शनीय स्थल में भी शुमार हो गया है।
होते हैं विभिन्न धार्मिक आयोजन
यहां प्रत्येक मंगलवार को 101 दीपकों से बजरंग वाटिका सजाई जाती है तथा हनुमान का पूजन आस्थावान करते हैं। सुंदरकांड पाठ के अलावा इस दिन दर्शनार्थियों का सुबह से ही पूजन अर्चन के लिए तांता लगा रहता है। माघ-श्रावण मास में अखंड रामायण पाठ, हनुमान जयंती के अवसर पर प्रसादी भंडारे का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है।
2003 से निरंतर जल रही अखंड ज्योत
बजरंग वाटिका के निर्माण, प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत लगभग सात वर्षों बाद हनुमान वाटिका मंदिर में अप्रैल 2003 से निरंतर अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित है, जो अभी भी जल रही है।
वाटिका में चल रही गौशाला
केवल धार्मिक एवं पर्यावरण संबंधी ही नहीं बल्कि गौ सेवा के भाव से भी बजरंग वाटिका के सदस्यों ने अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है। जिनके द्वारा बीते 15 वर्षों से सदस्यों के सेवा भाव स्वरूप गौशाला निर्माण किया गया है, जिसमें वर्तमान में 7-8 गायें हैं। सदस्य धर्म एवं पर्यावरण के साथ गौ सेवा की सीख भी अपने कामों से दे रहे हैं।
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