scriptशासन पर भारी पड़ रही सुगर मिल लॉबी, एक माह बाद भी नहीं माना आदेश | Sugar Mill lobbying on the regime, not considered after a month | Patrika News
नरसिंहपुर

शासन पर भारी पड़ रही सुगर मिल लॉबी, एक माह बाद भी नहीं माना आदेश

सीजन खत्म होने में कुछ दिन शेष, नहीं खरीद रहे 294 रुपए के रेट से गन्ना शकर के रेट बढ़े फिर भी मिल संचालकों ने नहीं बढ़ाए गन्ना के दाम

नरसिंहपुरFeb 20, 2019 / 01:12 pm

ajay khare

big politics in sugar cane purchasing in narsinghpur

sugar mill

नरसिंहपुर। कांग्रेस सरकार में भी सुगर मिल लॉबी किसानों और शासन पर भारी पड़ती नजर आ रही है। शासन ने २२ जनवरी को गन्ना किसानों से २९४ रुपए २० पैसे की दर से गन्ना खरीदने का आदेश दिया था पर इस आदेश को सुगर मिल संचालकों ने बॉयलर के धुएं में उड़ा दिया है। इधर बाजार में शकर के रेट बढक़र ३४०० रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं फिर भी मिल मालिकों ने गन्ना के रेट नहीं बढ़ाए।
गौरतलब है कि यहां की ८ मिलों में से तीन मिलें कांग्रेस नेताओं की हैं जो अपनी ही सरकार का आदेश नहीं मान रहे। गन्ना किसानों की उचित रेट की मांग कई सालों से चली आ रही है पिछले साल भाजपा सरकार में भी किसानों को सही रेट न मिलने पर किसानों ने कई आंदोलन किए थे जिसके बाद गन्ना का रेट थोड़ा बढ़ाया गया था। इस बार जबकि कांगे्रस सरकार के वचन पत्र में यह शामिल था कि न केवल किसानों को रिकवरी के आधार पर उचित दाम दिलाए जाएंगे बल्कि उन्हें बोनस भी दिया जाएगा, यह सरकार अभी तक अपना यह वादा पूरा कराने में असफल साबित हुई है। शासन के आदेश के बाद सुगर मिल संचालक हाईकोर्ट गए जहां से उन्हें किसी तरह का कोई स्टे नहीं मिला। सूत्रों की मानें तो एक बड़े राजनीतिक दल के प्रभावशाली नेता शासन के आदेश का सख्ती से पालन नहीं होने दे रहे हैं।
खत्म होने को है सीजन
जिले में गन्ना का सीजन खत्म होने को है बमुश्किल 15 दिन बाद गन्ना की आवक और पिराई बंद हो जाएगी। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि काफी कम रेट पर मिलों द्वारा गन्ना खरीदा जा रहा है और किसानों को उनके गन्ने का पूरा दाम नहीं मिल रहा। किसानों को इस बार भी शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
बढ़े शकर के रेट
सुगर मिल मालिक किसानों को उचित दाम न देने के पीछे बाजार में शकर के दाम कम होने का रोना रोते आए हैं। इधर बाजार में शकर के रेट बढक़र ३४०० रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं और केंद्र सरकार ने न्यूनतम विक्रय मूल्य २०० रुपए बढ़ाकर ३१५० तय कर दिया है जो पहले २९५० था। इसके बावजूद शुगर मिल मालिक किसानों को सही रेट नहीं देना चाहते।
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इनका कहना है
गन्ना किसानों के मामले को भोपाल तक ले जाने वाले किसान संघर्ष समिति के सदस्य विनायक परिहार का कहना है कि जिस तरह से सख्ती दिखाने के बाद शासन ने चुप्पी साध ली है उससे तो यही लगता है कि यह सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों की तरह किसानों के साथ न्याय नहीं कर सकेगी।
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वर्जन
गन्ना किसानों को २९४ रुपए २० पैसे प्रति क्विंटल की दर से भुगतान दिलाने के लिए शासन प्रतिबद्ध है। इस संबंध में कार्रवाई चल रही है। शीघ्र ही निर्णय हो जाएगा। किसानों द्वारा मिलों को बेचे गए गन्ना का इसी रेट से पूरा भुगतान कराया जाएगा।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर

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