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नरसिंहपुर

अन्नदाता ही फिजांओं में घोल रहे जहर, हर कोई आ रहा चपेट में

अन्नदाता ही फिजांओं में घोल रहे जहर, हर कोई आ रहा चपेट में

नरसिंहपुरMar 25, 2019 / 06:54 pm

sudhir shrivas

अन्नदाता ही फिजांओं में घोल रहे जहर, हर कोई आ रहा चपेट में

खेतों में लगाई गई आग

गाडरवारा-सालीचौका। किसानों को आम नागरिकों के लिए अन्न का दाता माना जाता है। किसान दिन-रात मेहनत करता है, तब लोगों की थाली तक भोजन पहुंच पाता है। एक तरीके से कहा जाए तो किसानों लोगों का पालक भी माना जाता है लेकिन जब यही अन्नदाता फिजांओ में जहर घोलने लगे तो आम आदमी का कराहना लाजमी है।
इन दिनों लगभग पूरा विश्व पर्यावरण प्रदूषण की समस्या झेल रहा है। ठीक इसी तर्ज पर जहां क्षेत्र में पेड़ कम होकर कांक्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं। वाहनों के धुंए एवं कई प्रकार से पर्याव्रण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ाई जा रही है। वहीं क्षेत्रीय किसान भी खेत से गन्ना काटने के बाद नरवाई जलाने खेत में आग लगा रहे हैं। जिनके धुंए से फिजाओं में जहर घोलने के साथ आसपास के खेतो ंमें आग लगने का खतरा भी बना रहता है। लोगों का कहना है ऐसा लगभग प्रत्येक गांव में हो रहा है। लेकिन इसे रोकने के लिए जिला या स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। जिसके चलते कृषक अपने अपने खाली खेतों में साफ करने के लिए आग लगाते हैं। इसके चलते क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषित तो हो ही रहा है। वहीं दमा, श्वांस के मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जब स्थानीय डॉक्टर एसके गुप्ता से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि श्वांस एवं दमे के मरीज बढ़ रहे हैं। क्योंकि वातावरण धीरे धीरे प्रदूषित होता जा रहा है। लोग वृक्ष लगाने के स्थान पर काट ज्यादा रहे हैं। जिसके चलते पर्यावरण को भी अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं क्षेत्र में कृषक धान, गन्ने की फसल की कटाई के बाद भी खेत साफ करने के लिए आग जला देते हैं। जिससे खेतों में मौजूद कीट मित्र और कई छोटे बड़े जीव जंतु भी इस आग में नष्ट हो जाते हैं। पूर्व में होशंगाबाद एवं नरसिंहपुर जिला प्रशासन द्वारा खेतों में आग लगाने पर प्रमुखता से रोक लगाई गई थी। लेकिन धीरे.धीरे किसान अब फिर से अपने अपने खेतों में आग लगाने लगा है। जबकि खेतों को सुधारने, साफ करने के लिए कई प्रकार के कृषि यंत्र आने लगे हैं। उसके बाद भी किसान खेतों में आग लगाता है। कई दफ ा इस आग से बड़ी दुर्घटनाएं भी घट चुकी हैं। अनेक किसानों की खड़ी फसलें भी जलकर खाक हो गई हैं। उसके बावजूद किसान खेत में आग लगाना नहीं छोड़ रहे। जनापेक्षा है जिला प्रशासन इस ओर विशेष ध्यान दे, और आग लगाने वाले किसानों पर कार्रवाई की जाए, तभी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में कुछ हद तक सफलता मिल सकती है।

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