scriptदेश के इतिहास का काला अध्याय है 25 जून 1975 लोकतांत्रिक, संवैधानिक मर्यादाओं को खत्क कर लगाया गया था आपात काल | There is a dark chapter in the history of the country, 25 June 1975, d | Patrika News
नरसिंहपुर

देश के इतिहास का काला अध्याय है 25 जून 1975 लोकतांत्रिक, संवैधानिक मर्यादाओं को खत्क कर लगाया गया था आपात काल

साक्षात्कार शख्सियत से

नरसिंहपुरJun 23, 2021 / 12:19 am

ajay khare

नरसिंहपुर. स्वतंत्र भारत के इतिहास में 25 जून 1975 को एक ऐसा भी अवसर आया, जब एक सत्तासीन व्यक्ति ने जिनका उनके भ्रष्टाचार के कारण चुनाव परिणाम इलाहाबाद हाईकोर्ट से रद्द कर दिया गया, अपनी सत्ता पिपासा को पूरा करने के लिये देशवासियों के सारे लोकतांत्रिक अधिकारों को तथा सारी संवैधानिक मर्यादाओं को समाप्त कर संपूर्ण देश को आपातकाल की बेड़ी में जकड़ दिया। यह बात राज्य सभा सांसद और लोकतंत्र सेनानी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी ने पत्रिका से एक साक्षात्कार में कही।
उन्होंने देश में लगाए गए आपातकाल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आपात काल लगाने के लिये आवश्यक सारे संवैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करके यह घोषणा की गई थी। जबकि प्रावधानों के तहत आधे से अधिक प्रांत जब मांग करें नोट भेजेें कि कानून व्यवस्था संकट में है और केन्द्रीय कैबिनेट सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करें, तब आपातकाल लगता है। कोई अपील नहीं, कोई न्यायिक व्यवस्था नहीं, न्यायालयों के सारे अधिकार समाप्त कर दिये गये और लाखों निरापराध लोगों की धड़ाधड़ गिरफतारी हुई तथा लोकनायक जयप्रकाश नारायण सहित सभी विरोधी दलों के नेता जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जार्ज फर्नांडीस, कांग्रेस के कुछ नेता 250 से अधिक पत्रकार जेलों में डाल दिये गये। निरपराध नागरिकों के साथ हिंसा का ऐसा तांडव देश ने पहले कभी नहीं देखा था। न्यायपालिका समाप्त कर दी गई, सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों को सुपर सीड कर अपने चुनाव को वैध करा लिया गया, संपूर्ण देश में हाहाकार, जेल के भीतर अकेले मध्यप्रदेश में 100 से अधिक लोकतंत्र सेनानियों की असमय मृत्यु हुई। 1,10,806 राजनैतिक और सामाजिक नागरिकों को मीसा/डीआईआर ने बिना मुकदमा चलाये जेलों में निरुद्ध किया गया। नई पीढ़ी को भी इसे जानने की जरूरत है जिसकी प्रेरणा से भविष्य में लोकतंत्र को अक्षुण्ण रखा जा सके। देश हित में यह बहुत आवश्यक है, ताकि अभिव्यक्ति की आजादी फिर कभी बाधित न हो पाये। लोकतंत्र पर आघात की कोई हिम्मत न कर सके। 25 एवं 26 जून 2006 को करेली में दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें मध्यप्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ के कुछ लोकतंत्र सेनानी शामिल हुये, तब लोकतंत्र सेनानी संघ को एक राज्य स्तरीय संगठन बना लिया गया था। 26 जून 2015 को भोपाल में आयोजित सम्मेलन में इसे अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया गया।
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