बता दें कि स्टेशनगंज क्षेत्र निवासी मुन्नालाल गुप्ता की कुछ दिनों पहले ही कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी। उनकी पत्नी निशा गुप्ता का भी संक्रमण के कारण जबलपुर में इलाज चल रहा था, जिनका सोमवार को निधन हो गया। एक ही परिवार में चंद दिनों के अंतराल में एक के बाद एक हुई दो मौत से नगर के लोग भी स्तब्ध और दुखी हैं। लोग कहने लगे हैं कि अब कोरोना का संक्रमण जानलेवा साबित हो रहा है। अब तक जिले में कोरोना से आठ लोगों की मौत हो चुकी है।
ताजा रिपोर्ट में जिले में 38 पॉजिटिव केस मिले हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण की इस भयावहता से हर तबका डरा-सहमा है। यही वजह है कि व्यापारियों ने स्वैच्छिक लॉकडाउन का बड़ा फैसला किया है। इसके जरिए वो संदेश देना चाहते हैं कि इस वक्त जान बचाना ज्यादा जरूरी है। लोग प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करने लगे हैं। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने से स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो गई है, उसे पटरी पर लाने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जरूरत है ताकि पीड़ित लोगो को समय से सही उपचार मिल सके।
बताया जा रहा है कि आईसीएमआर द्वारा जारी हो रही जांच रिपोर्ट और एंटीजन किट के जरिए आ रहे जांच परिणामों में संक्रमितों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। बताया जाता है कि जिले के कोविड केयर सेंटरों में जिन मरीजों का इलाज चल रहा है, उनमें से कई मरीज ऐसे हैं जो पूर्व में रैफर की स्थिति आने पर यह कह चुके हैं कि मेडिकल कॉलेज नहीं जाएंगे। वो होम आइसोलेशन में थे।
उधर प्रशासन द्वारा जो फीवर क्लीनिक और आईसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं, उनमें ही कर्मचारियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति न होने से कई मरीजों की जांच समय पर नहीं हो पा रही है। कहीं एंटीजन किट उपलब्ध नहीं है तो कहीं जिन कर्मचारियों को जांच करना है, वे ही संक्रमित होकर कोविड केयर सेंटरों में इलाज करा रहे हैं। ऐसे हालातों में न केवल कार्यरत स्वास्थ्य अमला बल्कि आम मरीजों की हालत भी खराब हो रही है।
ऐसे में बढ़ रहे संक्रमण के कारण प्रमुख बड़े नगरों में व्यापारिक संगठनों ने स्वैच्छिक लॉकडाउन घोषित कर रखा है। इस बीच गाडरवारा नगरपालिका क्षेत्र में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए अब नगरपालिका परिषद ने नगर को मशीन के जरिए सैनिटाइज करने का फैसला किया है। सोमवार को मशीन का उद्घाटन किया गया।