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हिंदुस्तान के युवाओं को ‘गद्दार’ बनाने का ऐसे चल रहा खेल, सरहद पार से रची जा रही नापाक साजिश!

भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और सतना से गिरफ्तार 11 युवक आईएसआई की मदद के लिए समानांतर एक्सचेंज चलाने और उनके कथित जासूसों को पैसा मुहैया कराने के मामले में गिरफ्तार किए गए हैं।

Feb 19, 2017 / 12:31 pm

Nakul Devarshi

सरहद पार बैठे दहशतगर्द देश में किस तरह से अपना नेटवर्क बिछा रहे हैं ये कई बार सामने आ चुका है। लेकिन इस तरह के मामले कम ही सामने आते हैं जहां इस बात का खुलासा होता है कि आखिर देश की ही युवाओं को ‘गद्दार’ बनाने की किस तरह से ट्रेनिंग दी जाती है। एक ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है मध्य प्रदेश में।
यहां जबलपुर में पुलिस ने फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का खुलासा करके जब जांच पड़ताल शुरू की तो हैरत में डाल देने वाली कई बातें सामने आईं।इस फ़र्ज़ी टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनसे पूछताछ में सामने आया है कि ये गैंग वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) की कॉल को लोकल कॉल में आसानी से तब्दील कर देते थे। 
फिलहाल पुलिस इस बात की जांच भी कर रही है कि इनका संबंध हाल में प्रदेश में आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा पाकिस्तान की इंटर सर्विसेस इंटेलीजेंस (आईएसआई) की मदद के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों से तो नहीं है। 

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यहां से शुरू हुआ ‘खेल के भंडाफोड़’ का सिलसिला 

पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने पत्रकारों को बताया कि टेली कप्युनिकेशन विभाग ने पत्र लिखकर फर्जी एक्सचेंज संचालित किए जाने की सूचना दी थी। अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र सिंह राजपूत को तफ्तीश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 
पुलिस ने जांच के बाद फर्जी एक्सचेंज संचालित करने वाले गुप्तेश्वर निवासी मयंक चौबे, हाथीताल निवासी पंकज तिवारी, रद्दी चौकी निवासी उमरेज आलम और सिंधी कैंप निवासी अंकुर मिश्रा को गिरफ्तार किया। 

अब तक ये हुई बरामदगी 
पुलिस ने आरोपियों के पास से आठ सिम बॉक्स, मोडम, एक लैपटॉप और डेस्क टॉप बरामद किए हैं। सभी आरोपी मोबाइल कारोबार से जुड़े हुए हैं और सिम बेचने की एजेन्सी लिए हुए हैं। उन्हें मोबाइल और सिम के संबंध में अच्छी जानकारी है। 
दो साल से चल रही थी गैंग 

आरोपी युवकों ने प्रारंभिक पूछताछ में बताया कि वह विगत दो वर्षों से फर्जी एक्सचेंज संचालित कर रहे थे। मंयक चौबे ने बंगलुरू निवासी उसके दोस्त विनीत मिश्रा के संपर्क में आने के बाद ऑनलाइन चार सिम बॉक्स मंगवाये थे। इसमें से दो सिम बॉक्स पर वह खुद काम करता था और एक-एक बॉक्स उसने अंकुर तथा पंकज तिवारी को दिए थे। 
चीन-अरब में मिलती है ट्रेनिंग 

तफ्तीश में सामने आया है कि उमरेज आलम को मुनिराज और इमरान ने सिम बॉक्स उपलब्ध करवाए थे, जो दिल्ली के निवासी हैं। सिम बॉक्स सेट चीन के हैं और उन्हें संचालित करने के लिए चीन और सऊदी अरब में ट्रेनिंग दी जाती थी। आरोपियों को बैंक खातों के माध्यम से भुगतान किया जाता था, जबकि राशि अंतराष्ट्रीय हवाला के माध्यम से आती थी। 
आरोपियों ने एक नाम से कई सिम संचालित कर रखी थीं। जबलपुर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी पुलिस मुख्यालय सहित एसटीएफ और एटीएस को दे दी है। पुलिस इस बारे में भी जांच कर रही है कि आरोपियों के तार पूर्व में आईएसआई जासूसी नेटवर्क में गिरफ्तार किये गये युवकों से तो नहीं जुड़े हैं। 
इससे पहले एटीएस ने नौ फरवरी को भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और सतना से 11 युवकों को गिरफ्तार किया था। ये आरोपी आईएसआई की मदद के लिए समानांतर एक्सचेंज चलाने और उनके कथित जासूसों को पैसा मुहैया कराने के मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। बाद में इसके मास्टर माइंड के रूप में सतना निवासी रज्जन उर्फ राजीव तिवारी को भी एटीएस ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। 

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