अनुराग कुन्डू ने कहा कि कहानी में मां का कहना है कि एक अच्छी लड़की होने का मतलब है कि उसे अपने पिता की सेवा करनी है, जिसको लेकर उन्होंने कहा कि महिलाओं का यह चित्रण उस तरह के लैंगिक-समान समाज के साथ है जो हम सभी बनाने की आकांक्षा रखते हैं। अनुराग कुन्डू ने कहा है कि यह कहानी बच्चों को घर में हिंसा को स्वीकार करना सिखाती है।
अनुराग कुन्डू ने पत्र के माध्यम से कहा है कि इस चैप्टर को शामिल करने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके साथ ही ये कहानी किसी भी तरह से लड़कियों को सशक्त नहीं बनाती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “हमारे घरों में हिंसा और हमारे समाज में पितृसत्ता हमारी दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है। हमारी पाठ्यपुस्तकें युवा दिमाग को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि वे बड़े होकर स्त्री द्वेष और हिंसा की धारणाओं को चुनौती देते हैं।” इसलिए अनुराग कुन्डू ने NCERT के निदेशक प्रोफेसर हृषीकेश सेनापति से हस्तक्षेप करने और इसे हटाने का अनुरोध किया है।