बीटिंग रिट्रीट ट्रैफिक एडवाइजरी : यहां रहेगा यातायात प्रतिबंधित
बीटिंग रिट्रीट ट्रैफिक एडवाइजरी में कहा गया है कि, रफी मार्ग पर सुनहरी मस्जिद गोलचक्कर और कृषि भवन गोलचक्कर के बीच, दारा शिकोह गोलचक्कर से आगे, कृष्णा मेनन मार्ग गोलचक्कर और विजय चौक की ओर सुनेहरी मस्जिद पर वाहनों की अनुमति नहीं होगी। कर्तव्य पथ पर विजय चौक और ‘सी’ हेक्सागोन के बीच यातायात प्रतिबंधित रहेगा।
बीटिंग रिट्रीट ट्रैफिक एडवाइजरी में कहा गया है कि, रफी मार्ग पर सुनहरी मस्जिद गोलचक्कर और कृषि भवन गोलचक्कर के बीच, दारा शिकोह गोलचक्कर से आगे, कृष्णा मेनन मार्ग गोलचक्कर और विजय चौक की ओर सुनेहरी मस्जिद पर वाहनों की अनुमति नहीं होगी। कर्तव्य पथ पर विजय चौक और ‘सी’ हेक्सागोन के बीच यातायात प्रतिबंधित रहेगा।
बीटिंग रिट्रीट ट्रैफिक एडवाइजरी : वैकल्पिक मार्गों लेने की सलाह
बीटिंग रिट्रीट ट्रैफिक एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि, ट्रैफिक पुलिस ने यात्रियों को रिंग रोड, रिज रोड, अरबिंदो मार्ग, मदरसा टी-प्वाइंट, लोधी रोड, सुब्रमण्यम भारती मार्ग, सफदरजंग रोड, कमल अतातुर्क मार्ग, रानी झांसी रोड, मिंटो रोड आदि जैसे वैकल्पिक मार्गों को लेने की सलाह दी।
बीटिंग रिट्रीट ट्रैफिक एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि, ट्रैफिक पुलिस ने यात्रियों को रिंग रोड, रिज रोड, अरबिंदो मार्ग, मदरसा टी-प्वाइंट, लोधी रोड, सुब्रमण्यम भारती मार्ग, सफदरजंग रोड, कमल अतातुर्क मार्ग, रानी झांसी रोड, मिंटो रोड आदि जैसे वैकल्पिक मार्गों को लेने की सलाह दी।
What is Beating Retreat Ceremony?
बीटिंग द रिट्रीट समारोह 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर होता है। इससे गणतंत्र दिवस समारोह का समापन मना जाता है। सेना की वापसी का बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी प्रतीक है। राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं। दुनिया के कई देशों में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी मनाने की परंपरा है। भारत में 1950 के दशक में इसकी शुरुआत हुई थी। इस समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। उनके आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है।
बीटिंग द रिट्रीट समारोह 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर होता है। इससे गणतंत्र दिवस समारोह का समापन मना जाता है। सेना की वापसी का बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी प्रतीक है। राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं। दुनिया के कई देशों में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी मनाने की परंपरा है। भारत में 1950 के दशक में इसकी शुरुआत हुई थी। इस समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। उनके आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है।