केंद्रीय गृहमंत्री और पार्टी के एक प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह ने भी हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा था कि शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा ने गठबंधन नहीं तोड़ा था। जिस तरह बीजेपी ने नीतीश कुमार को साथ लेने में कोई देरी नहीं की, उसे देखते हुए कहा जा सकता है भाजपा-अकाली फिर से मिल कर चुनाव लड़ सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो दोनों दलों के बीच बातचीत सीटों की संख्या को लेकर हो रही है। शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा के लिये चार से पांच सीट देने की पेशकश की है जबकि भाजपा ने पांच से छह सीटों पर दावा किया है। वैसे भाजपा ने पंजाब की सभी 13 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रखी है और सभी सीटों पर उम्मीदवारों के पैनल भी तैयार है, लेकिन परेशानी यह है कि किसान आंदोलन और उसमें खालिस्तानी दुष्प्रचार के कारण भाजपा की छवि सिख वोटरों में बहुत असरदार नहीं है।
इसलिये कहा जा सकता है कि शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन करना अब भाजपा के लिए कुछ कुछ मजबूरी का सौदा हो गया है। शिरोमणि अकाली दल ने भी इस बात को अच्छी तरह से समझ लिया है। सूत्रों के अनुसार यदि अकाली दल अपने वोटरों के रुख को लेकर आश्वस्त हो जाता है तो दोनों दलों के बीच पांच सीटों पर समझौता हो सकता है। अगले एक से दो दिन में होने वाली कोर समूह की बैठक में इस बारे में कोई सहमति बनने की संभावना है।