स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा कि “भारत में ग्राम पंचायत और राज्य स्तरों पर कानून के अनुसार काम किया जाता है और यहाँ जन्म और मृत्यु रिपोर्टिंग की एक मजबूत प्रणाली है।”
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट कर भी जानकारी दी कि “बड़ी संख्या में स्वतंत्र रूप से राज्यों ने नियमित रूप से अपने यहाँ मृत्यु संख्या को रिपोर्ट किया है और उसे केन्द्रीय रूप से संकलित किया है। राज्यों द्वारा अलग-अलग समय परदिए जा रहे कोविड-19 मृत्यु दर के बैकलॉग का नियमित आधार पर भारत सरकार के आंकड़ों में मिलान किया जा रहा है।”
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पारदर्शी तरीके से आंकड़ों की सूचना दी गई
स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में कहा है कि “बड़ी संख्या में राज्यों ने नियमित रूप से मृत्यु संख्या का मिलान किया है और व्यापक रूप से पारदर्शी तरीके से सभी मौतों की सूचना दी है। इसलिए, यह दिखाना कि मौतों को कम रिपोर्ट किया गया तो ये बिना किसी आधार और बिना किसी औचित्य के है।
सरकार ने कहा कि ‘ये स्पष्ट किया जाता है कि सभी राज्यों के बीच COVID केस लोड और लिंक्ड मृत्यु दर में अत्यधिक अंतर है किसी भी धारणा को बनाना और सभी राज्यों के आंकड़ों को एक नजर से देखना या मापना आंकड़ों को जानबूझकर गलत दिशा में ले जाएगा।’
भारत में मौत के आंकड़ों को सही तरीके से पेश करना इसलिए भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि पीड़ित मुआवजे का हकदार है। ऐसे में कम आंकड़ों की संभावना कम है।
मीडिया रिपोर्ट्स में क्या दावे किए गए?
बता दें कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया जाता रहा है कि जानबूझकर कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को सरकार कम करके पेश कर रही है। पहली और दूसरी वेव में सरकार द्वारा पेश किए गए आँकड़े वास्तविक आंकड़ों से अलग होने के दावे किए जाते हैं। हालांकि, सरकार ने अब इन सभी दावों का खंडन किया है और इसे निराधार बताया है।
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