रिपोर्ट से क्या पता चला
विश्व भर में बॉर्डर पर चल रही हलचल पर नजर रखने वाली संस्था चेटहेम हाउस, जिसे रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स भी कहा जाता है, उसने अपनी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने भारत से सटे सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में जबरदस्त विकास किया है।
सैटेलाइट से मिले तस्वीरों से पता चला है कि अक्साई चिन में सड़कों, अपडेटेड वाटरप्रूफ कैंप, पार्किंग एरिया, सोलर पैनल, हैलीपोर्ट का निर्माण किया गया है। इस हैलीपोर्ट में 18 हैंगर्स और एक छोटा रनवे भी बनाया गया है। रक्षा विशेषज्ञयों की माने तो इस रनवे को ड्रोन्स की उड़ान के लिए बनाया गया है।
सैटेलाइट तस्वीरों से साफ़ पता चल रहा है कि चीन की सेना ने अक्साई चिन इलाके में तैनात अपने सैनिकों की सुविधा के लिए पूरा तंत्र विकसित कर लिया है।ताकि आगे किसी परिस्तिथि को आसानी से निपटा जा सके। इस कदम से वो भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना चाहता है।
बता दें कि भारत शुरू से हीं अक्साई चिन इलाके को लद्दाख का हिस्सा मानता है। वहीं चीन अक्साई चिन को अपने शिनजियांग और तिब्बत का हिस्सा मानता है। 1962 की लड़ाई में चीन ने इस भूमि पर कब्जा कर लिया था। गलवान घाटी भी अक्साई चिन के पास ही स्थित है, जहां साल 2020 में भारत और चीन के सैनिकों में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, लेकिन चीन के कितने सैनिक शहीद हुए, इसकी जानकरी उसने मिडिया को नहीं दी।
अपना प्रभाव बढ़ा रही चीनी सेना
चेटहेम ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी सैनिकों की पेट्रोलिंग देपसांग इलाके में भी खूब हो रही है। माना जा रहा है कि देपसांग में मौजूद दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर भारतीय संचालन पर दबाव बनाने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। साथ ही देपसांग में ही मौजूद राकी नाला इलाके से भी चीन की चौकियां साफ देखी जा सकती हैं। माना जा रहा है कि इस इलाके में भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग को रोकने के उद्देश्य से यह चौकियां स्थापित की गई हैं। भारतीय सैनिकों पर दवाब बनने के लिए, चीन द्वारा ये षड्यंत्र रचा जा रह है।
ऐसे इलाकों से चीन को जोड़ने की तैयारी
चीनी आर्मी शिनजियांग और तिब्बत को जोड़ने वाला प्रस्तावित G-695 हाइवे का भी निर्माण कर रहा है। यह हाइवे 2035 तक बनकर तैयार हो सकता है। इस हाइवे के बनने से अक्साई चिन, देपसांग, गलवान घाटी और पैंगोंग सो झील तक चीन की पहुंच बेहद आसान हो जाएगी। यह हाइवे इन विवादित इलाकों को चीन से जोड़ेगा और इससे पीएलए को नया सप्लाई रूट भी मिल जाएगा। इस हाइवे के निर्माण से साफ है कि चीन अक्साई चिन को पूरी तरह से उनके देश की मेनलैंड से जोड़ने की तैयारी कर रहा है।
भारत का रुख कैसा रहा है
बता दें कि, कुछ महीने के अन्तराल पर चीन, भारत को उकसाता है। गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों बीते 6 दशकों में सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत और चीन के बीच बातचीत की कोशिशें भी हो रही हैं और दोनों देशों में 18 राउंड की शीर्ष सैन्य स्तर की बैठक बेकार बातचीत हो चुकी है। भारत सरकार साफ कर चुकी है कि जब तक चीनी सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ संबंध नार्मल नहीं हो सकेंगे। इस मसले को दोनों देश अगर बात से सुलझाते है तो भारत और चीन के लिए अच्छा होगा ।