राहुल के नेतृत्व में Congress का प्रदर्शन
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं, लेकिन पार्टी के पोस्टर बॉय राहुल गांधी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस पार्टी के हर छोटे-बड़े निर्णय में उनकी छाप होती है। उनसे अप्रूवल मिलने के बाद ही कुछ होता है। किस नेता की उम्मीदवारी रहेगी और किसकी उम्मीदवारी जाएगी यह राहुल गांधी ही तय करते हैं। सीरियस पॉलिटिशियन की छवि गढ़ने के लिए ही उन्होंने दो बार यात्रा निकली। जिसका थोड़ा बहुत फायेदा उन्हें मिला। पार्टी को उम्मीद थी कि दिसंबर 2023 में राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में हुए चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाएगी लेकिन तीनों राज्यों में बीजेपी बाजी मार ले गई। राहुल गांधी इस वक्त भारत जोड़ो न्याय यात्रा में व्यस्त थे।
पार्टी का प्रदर्शन 2014 और 2019 के चुनाव में बेहद साधारण रहा था। कांग्रेस को लग रहा था कि 2024 के चुनाव में वो अच्छा प्रदर्शन करेगी और बीजेपी के 10 वर्ष की एंटी इनकंबेसी का फायेदा उन्हें मिलेगा। इसका फायेदा उन्हें कुछ हद तक मिला भी लेकिन पार्टी 100 के आंकड़े को नहीं छू पाई।
पार्टी ने बिहार, यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों में कई वर्षों बाद अच्छा प्रदर्शन किया है। ऐसे में अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊँचा रखने के लिए पार्टी जश्न मना रही है, ताकि वो सुस्त न हो पायें। साल के अंत में झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में पार्टी चाहती है कि कार्यकर्ताओं की लय न टूटे और वो पूरी मेहनत से इन राज्यों में कांग्रेस के लिए जमीन पर काम करें।
Congress ( 2014, 2019 और 2024) मिलाकर भी BJP (2024) से कम
बता दें कि कांग्रेस बीते 10 सालों से सत्ता से बाहर है, राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी अपने सबसे बुरे को देख चुकी है। 2019 में रिजल्ट आने के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन पार्टी की स्थिति में कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला। इस बार पार्टी ने 99 के आंकड़े को छुआ है और चाह रही है कि किसी तरह सरकार का हिस्सा बने और भाजपा को बाहर किया जाए। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा बहुमत से दूर है, इसलिए सरकार बनाने का नैतिक आधार उनके पास नहीं है। लेकिन आंकड़ों की बात करें तो बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में जितनी सीटें जीतीं है, कांग्रेस 2014, 2019 और 2024 को मिलाकर भी उतनी सीट नहीं जीत पाई है। बीजेपी ने इस चुनाव में अकेले दम पर 240 सीटों पर अपना झंडा लहराया है वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने 2014 में 44 , 2019 में 52 और 2024 में 99 सीटें जीती है। तीनों को मिलाकर आंकड़ा 199 ही पहुंच पाता है। ऐसे में अगर कांग्रेस नैतिकता के किस आधार पर सरकार बनाने की बात कर रही है, यह बड़ा प्रश्न है।