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अस्तित्व बचाने के लिए एक जाजम पर आए कांग्रेस के नेता, रैलियों और सभाओं में आगे बीजेपी

Lok Sabha Elections 2024 : उत्तराखंड लोकसभा चुनाव में अस्तित्व बचाने के लिए कांग्रेस के नेता एक जाजम पर आ गए है। दूसरे मुद्दों पर राष्ट्रवाद भारी नजर आ रहा। वहीं, रैलियों और सभाओं में भाजपा आगे है। पढ़िए अभिषेक श्रीवास्तव की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीApr 18, 2024 / 10:04 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : 14वीं सदी की राजुला-मालूशाही की प्रेमकथा और अपने प्राकृतिक अप्रतिम सौंदर्य के लिए ख्यात कुमाऊं के पहाड़ एक दशक से अलग ही कहानी कह रहे हैं। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे इस अंचल में अब लोगों के बीच सिर्फ भाजपा और मोदी की ही चर्चा है। कुमाऊंनी में बात करते हुए लोग समस्याएं तो गिनाते हैं, लेकिन उसके ऊपर देशहित को सर्वोपरि रख देते हैं। गढ़वाल के बाद जब मैं नैनीताल जिले के आखिरी रेलवे स्टेशन काठगोदाम पहुंचा तो ठंडी हवा के झोंके एक अलग अहसास कराने लगे। कुमाऊं की सियासत को समझना था तो पहले मैं नैनीताल, फिर वहां से आसपास के क्षेत्रों में गया। दरअसल, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र की सीमा यूपी के मुरादाबाद, बरेली और रामपुर जिले को छूती है। कभी यह सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता एनडी तिवारी के लिए जानी जाती थी।
भवाली में एक चाय की दुकान पर मिले मोहन चंद भट्ट ने तिवारी को याद करते हुए कहा कि समय के साथ ही उत्तराखंड कांग्रेस नेतृत्व विहीन हो चुकी है। कभी यही पहाड़ उसका बेस वोट बैंक होता था, लेकिन आज सिर्फ मोदी और राष्ट्रवाद की चर्चा होती है। नैनीताल में डीएसबी ग्राउंड के पास पहुंचे तो वहां क्रिकेट मैच के साथ ही पास में बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे। वहां मुलाकात मदन रौतेला से मुलाकात हुई। परिवार के साथ नैनी झील देखने आए मदन ने कहा कि बेरोजगारी यहां की बड़ी समस्या है। धामी सरकार अच्छा काम कर रही है।
दरअसल, कुमाऊं का चुनावी समीकरण उलझा हुआ है। यहां कांग्रेस एकजुट होने का अहसास दिलाने के लिए सामूहिक प्रचार पर जोर दे रही है। जो नेता कभी एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे, वही एक साथ मंच साझा कर रहे हैं। कुमाऊं में बीजेपी की रणनीति कांग्रेस से कई कदम आगे है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ की सभाएं हो चुकी हैं। कांग्रेस की बात करें तो यहां सिर्फ प्रियंका गांधी की सभा हुई है।
अल्मोड़ा सीट पर 2009 के चुनाव में जब कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने भाजपा के अजय टम्टा को हराया था तब वे फूट-फूट कर रोए थे। उसके बाद 2014 में अजय टम्टा ने हरीश रावत के खास प्रदीप टम्टा को पटखनी दी। इस बार फिर दोनों आमने-सामने हैं। गढ़वाल(पौड़ी) सीट का एक विधानसभा क्षेत्र कुमाऊं में भी आता है। यह एक मात्र सीट है जहां मतदाता सीधे तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की चर्चा करते हैं। कारण साफ है। पौड़ी जिले के गंगा-भोगपुर के एक रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की हुई हत्या ने काफी तूल पकड़ा था। यह घटनाक्रम इस चुनाव में प्रमुख मुद्दों में शामिल है। 2019 में बीजेपी के तीरथ सिंह रावत ने पूर्व सीएम बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी से 3,02,669 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा ने अनिल बलूनी को मैदान में उतारा है।
यह है नैनीताल सीट का इतिहास
यहां पहले कांग्रेस के बाबा जीतते थे, पिछले दो चुनाव से भाजपा का कब्जा है। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट में नैनीताल जिले के पांच और ऊधमसिंह नगर के नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2014 के चुनाव से ही यहां भाजपा का कब्जा है। 2019 में बीजेपी ने अजय भट्ट को टिकट दिया। भट्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हरा दिया। कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत को हराने के कारण अजय भट्ट को मोदी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री बनाया गया। इस बार भी भाजपा ने भट्ट को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने राहुल गांधी के कोर टीम के सदस्य प्रकाश जोशी को टिकट दिया है।

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