मीडिया रिपोर्ट के अनुसार DGP ने यह आदेश एक राज्य स्तरीय परामर्श बैठक के बाद दिया है, जिसमें बताया गया है कि आदिवासी संस्कृतियों में 18 साल से कम उम्र की लड़की से शादी करना पुरुष के लिए वर्जित नहीं है। इसके बाद जब कम उम्र की महिला सरकारी अस्पताल में बच्चे की डिलीवरी के लिए जाती है, तो पुलिस को सूचित किया जाता है, जिसके बाद POCSO के तहत मामला दर्ज किया जाता है। वहीं पुरुष को गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस बैठक में किशोर न्याय समिति ने दावा किया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो महिलाएं प्रसव के लिए अस्पताल नहीं जाएंगी।
बैठक में किशोर न्याय समिति ने कहा कि कुल POCSO के तहत दर्ज मामलों में लगभग 60% मामले आपसी प्रेम संबंधों से जुड़े हुए हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के युवाओं के मामलों में ऐसा मामले अधिक हैं, जिसमें 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रोमांटिक संबंध बनाने के कारण पुरुष को अपराधी माना जाता है और उसे गिरफ्तार किया जाता है। इस बैठक में मद्रास उच्च न्यायालय की POCSO समिति , तमिलनाडु, पुडुचेरी सहित अन्य राज्यों की POCSO समिति के लोग शामिल हुए।