सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में, हमारा विचार है कि अपीलकर्ता की दोषसिद्धि और सजा खारिज किये जाने योग्य है। ये आरोपी अभियोक्ता का मामा है और तमिलनाडु में मामा भांजी में विवाह का चलन है। ये न्यायालय जमीनी हकीकत से अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता और अपीलकर्ता और अभियोजक के सुखी पारिवारिक जीवन में खलल नहीं डाल सकता।"
तमिलनाडु सरकार की दलील खारिज
कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही तमिलनाडु सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें ये कहा गया था कि ये शादी सजा से बचने के लिए की गई है। तमिलनाडु सरकार का कहना था कि अपराध के समय पीडिता की उम्र 14 वर्ष थी और उसने 15 वर्ष की आयु में पहले और 17 वर्ष की उम्र में दूसरे बच्चे को जन्म दिया। ये शादी वैध नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अजीब परिस्थिति का हवाला देते हुए आरोपी को सजामुक्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में, हमारा विचार है कि अपीलकर्ता की दोषसिद्धि और सजा खारिज किये जाने योग्य है। ये आरोपी अभियोक्ता का मामा है और तमिलनाडु में मामा भांजी में विवाह का चलन है। ये न्यायालय जमीनी हकीकत से अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता और अपीलकर्ता और अभियोजक के सुखी पारिवारिक जीवन में खलल नहीं डाल सकता।"
तमिलनाडु सरकार की दलील खारिज
कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही तमिलनाडु सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें ये कहा गया था कि ये शादी सजा से बचने के लिए की गई है। तमिलनाडु सरकार का कहना था कि अपराध के समय पीडिता की उम्र 14 वर्ष थी और उसने 15 वर्ष की आयु में पहले और 17 वर्ष की उम्र में दूसरे बच्चे को जन्म दिया। ये शादी वैध नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अजीब परिस्थिति का हवाला देते हुए आरोपी को सजामुक्त कर दिया।
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दरअसल, आरोपी जोकि पीड़िता का मामा है उसे POCSO ऐक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए निचली अदलात ने 10 साल की सजा सुनाई थी। उसपर नाबालिग लड़की के साथ सेक्सुअल ऑफेंस के आरोप थ। मद्रास हाई कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसोर आरोप है कि उसने शादी का वादा कर संबंध बनाए थे जबकि उसने शादी के बाद संबंध बनाए थे और उसके दो बच्चे भी हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को लड़की के बयान और उसकी स्थिति की जानकारी मांगी थी। इसके बाद सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपी की सजा रद्द कर दी।
दरअसल, आरोपी जोकि पीड़िता का मामा है उसे POCSO ऐक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए निचली अदलात ने 10 साल की सजा सुनाई थी। उसपर नाबालिग लड़की के साथ सेक्सुअल ऑफेंस के आरोप थ। मद्रास हाई कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसोर आरोप है कि उसने शादी का वादा कर संबंध बनाए थे जबकि उसने शादी के बाद संबंध बनाए थे और उसके दो बच्चे भी हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को लड़की के बयान और उसकी स्थिति की जानकारी मांगी थी। इसके बाद सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपी की सजा रद्द कर दी।