तो वहीं इस मसले को लेकर कांग्रेस की अगुवाई में देश के 13 विपक्षी दलों ने बुधवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की थी। जहां राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सभी दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ पर शंका जाहिर की। जिसके बाद ईवीएम में कथित छेड़छाड़ को लेकर चुनाव आयोग ने अपना निर्णय लिया है।
चुनाव आयोग ने मई के पहले सप्ताह से 10 मई के बीच वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों को ईवीएम को हैक करने की चुनौती दी है। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने मई के शुरुआती महीने में विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और तकनीक के जानकार 10 दिन के अंदर आकर मशीन को हैक करने की चुनौती दी। तो वहीं आयोग ने ईवीएम को निष्पक्ष बताया है।
गौरतलब है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले साल 2009 में भी इस तरह के आरोप ईवीएम मशीनों पर लगे थें। जहां आयोग ने हैक करने की चुनोती दी थी, लेकिन कोई ईवीएम को हैक नहीं कर सका था। तो वहीं इस बार ईवीएम की शिकायत को लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात करने वालों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अलावा कई नेता प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
ध्यान हो कि यूपी चुनाव में हार के बाद सबसे पहले मायावती ने ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगया था। जिसके बाद दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनावों में ईवीएम के साथ कथित छेड़छाड़ का आरोप लगाया। जहां उन्होंने कहा था कि 72 घंटे के लिए ईवीएम दे दें तो वे यह साबित कर देंगे कि इसमें कैसे छेड़-छाड़ किया जा सकता है। जिसके बाद उन्होंने दिल्ली में एमसीडी चुनाव ईवीएम से नहीं करा कर बैलेट पर कराने की मांग की थी।