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Explainer: क्यों गेमचेंजर है भारत का 3D रॉकेट ‘अग्निबाण’, जानिए इसमें क्या खास?

Agnibaan Rocket : एक निजी अंतरिक्ष कंपनी अग्निकुल कॉसमोस ने गुरुवार को स्वदेश निर्मित रॉकेट का पहला सफल प्रक्षेपण कर भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नया अध्याय लिख दिया है। पढ़िए अमित पुरोहित की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीJun 03, 2024 / 10:01 am

Shaitan Prajapat

Agnibaan Rocket : चुनावों की गहमागहमी के बीच एक निजी अंतरिक्ष कंपनी अग्निकुल कॉसमोस ने गुरुवार को स्वदेश निर्मित रॉकेट का पहला सफल प्रक्षेपण कर भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नया अध्याय लिख दिया है। यह घटना इतनी महत्तवपूर्ण क्यों रही कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक ने अग्निकुल कॉसमॉस को बधाई दी…

क्या भारत में पहली बार हुआ ऐसा?

नवंबर 2022 में, अग्निकुल की तरह ही एक अंतरिक्ष स्टार्ट-अप स्काईरूट एयरोस्पेस अपना विक्रम रॉकेट लॉन्च कर चुकी है।अग्निबाण इससे आगे का कदम है। यह दुनिया के पहले 3-डी मुद्रित इंजन द्वारा संचालित था और इसे इसरो की श्रीहरिकोटा लॉन्च सुविधा में निर्मित अग्निकुल के अपने लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया था। अग्निकुल और स्काईरूट दोनों को उम्मीद है कि वे एक साल के भीतर अपने रॉकेट पर कमर्शियल सैटैलाइट लॉन्च करना शुरू कर देंगे।

इनसे किया जाएगा अंतरिक्ष अन्वेषण?

यह रॉकेट संचार, प्रसारण, आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी और महासागर अवलोकन, शहरी नियोजन व निगरानी जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए छोटे उपग्रह बाजार को लक्षित कर रहे हैं। यह रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 30 किलोग्राम से 300 किलोग्राम के बीच पेलोड ले जाने में सक्षम रहेंगे। यह उपग्रह आमतौर पर अंतरिक्ष अन्वेषण या वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए नहीं होते। अग्निकुल को हर साल अपने अग्निबाण रॉकेटों के 35 से 40 प्रक्षेपण की उम्मीद है।

अग्निबाण रॉकेट में क्या खास?

अग्निबाण की सबसे बड़ी खासियत है कि इसका घरेलू विकसित सेमी-क्रायोजेनिक इंजन ‘अग्निलेट’ पूरी तरह से 3-डी प्रिंटेड है। इसमें कोई जोड़ नहीं है, कोई वेल्डिंग नहीं है और कोई फ्यूजिंग नहीं है। अब तक किसी ने भी 3-डी प्रिंटेड संपूर्ण इंजन का उपयोग नहीं किया है। वहीं, देश में पहली बार अग्निबाण को निजी स्वामित्व वाले लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया था। कंपनी ने इसरो की मदद से श्रीहरिकोटा रेंज में अपना लॉन्च पैड बनाया है। इसका फायदा है कि यह जब चाहे अपने लॉन्च शेड्यूल कर सकती है।

निजी खिलाड़ियों के आने से बदलेगा माहौल?

अग्निकुल और स्काईरूट जैसी कंपनियां निजी भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के भारत के प्रयासों की सफलता की बानगी है। पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों अंतरिक्ष कंपनियां सामने आई हैं, जो अंतरिक्ष बाजार के सैटैलाइट, अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोग, हार्डवेयर, संचार, डेटा केंद्र जैसे कई विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं। निजी कंपनियों के भी आने से, अंतरिक्ष एक उभरता हुआ क्षेत्र बन गया है जिसे सरकार बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है।

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