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GST पर बोले जेटली, बड़े कदमों से बदलती है देश की तकदीर, कुछ नया करने पर शुरू में दिक्कतें, बाद में सुधार

अरुण जेटली ने कहा कि कुछ नया करने पर शुरू में दिक्कतें आती हैं, लेकिन उसमें सुधार कर लिया जाता है।

छिंदवाड़ाJun 30, 2017 / 02:37 pm

Abhishek Pareek

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने को लेकर हो रहे विरोध के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कुछ नया करने पर शुरू में दिक्कतें आती हैं, लेकिन उसमें सुधार कर लिया जाता है। 
जीएसटी लागू होने से चंद घंटे पहले यहाँ एक टेलीविजन चैनल के सम्मेलन में जेटली ने कहा कि पिछले 70 साल में किसी विधेयक पर इतनी बहस नहीं हुई है जितनी जीएसटी पर हुई है। इसके लागू होने को बड़ा मौका बताते हुए उन्होंने कहा कि बड़े कदमों से ही देश की तकदीर बदलती है। 
उन्होंने कहा कि इसे लागू करने में कई नेताओं की अहम भूमिका रही है। कई राज्यों के मंत्रियों ने इसे पास कराने में काफी मदद की है। इस पर सबकी सहमति के लिए सरकार ने कई बैठकें कीं। कई बैठकें तो दो-तीन दिन तक चली। देश की आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है। 
‘एक देश, एक करÞ के स्लोगन के साथ जीएसटी का आज मध्य रात्रि में संसद के केन्द्रीय कक्ष में शुभारंभ किया जायेगा। इस मौके पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, सदी के महानायक और जीएसटी एम्बेसडर अमिताभ बच्चन, जानेमाने उद्योगपति और बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। हालाँकि, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने जीएसटी जलसे में भाग नहीं लेने की घोषणा की है। 
जेटली ने कहा कि जीएसटी पर सब कुछ केन्द्र ने तय नहीं किया है। केन्द्र सरकार के साथ 31 राज्य सरकारों ने कई दौर की बैठकों के बाद इस पर आम सहमति बनार्इ है। उन्होंने कहा सभी विपक्षी दलों ने हर मौके पर इस पर साथ दिया है। उन्हें जीएसटी के जश्न में शामिल होना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा, ‘कुछ नया करने पर शुरू में दिक्कतें आती हैं, लेकिन उसमें सुधार कर लिया जाता है। हमारे देश की कई विशेषतायएं हैं। जब नोटबंदी लागू की गर्इ थी तो लोगों ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद गिर जाएगा किन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ। नोटबंदी के शुरूआती कुछ दिनों में दिक्कत हुई थी। 
उन्होंने कहा जिन देशों में जीएसटी सफल नहीं हुआ वहाँ कुछ अलग परिस्थितियाँ थीं। हमारे देश में उन देशों से अलग व्यवस्था है। जो लोग आलोचना करते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि पिछले 70 साल से हमारी सरकारें उधार लेकर काम चला रही है। वित्त मंत्री ने कहा यदि हर कोई कर देना शुरू कर दे तो उधार की नौबत नहीं आएगी। देश को चलाने के लिए कर प्रणाली को बेहतर करना जरूरी है। देश की आबादी 130 करोड़ है किन्तु पाँच लाख से अधिक आय वाले केवल 71 लाख लोग हैं। इसमें से भी 61 लाख वेतनभोगी हैं। बाकी लोगों में सभी टैक्स नहीं देते। अप्रत्यक्ष कर की जहाँ तक बात है केवल 80 लाख लोग ही इसकी अदायगी करते हैं। उम्मीद है कि जीएसटी लागू होने पर कर देने वालों की संख्या बढ़ेगी। 
जीएसटी को लेकर लोगों में घबराहट की जिक्र करते हुए जेटली ने कहा हम एक नर्इ व्यवस्था में आ रहे है। इसकी वजह से लोगों में घबराहट है। व्यापारियों की दिक्कतों पर उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत सभी रिटर्न सॉफ्टवेयर से भरे जाएंगे। इससे उनको कोई दिक्कत नहीं होगी। देश का एक बड़ा व्यापारी वर्ग नर्इ कर व्यवस्था के पक्ष में है। 

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