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इस लड़की ने उठाया कदम, हार माने मां-बाप

देशभर में बाल विवाह के जरिए मासूमों का बचपन मार दिया जाता है। जो उम्र खेलने-कूदने की होती है उस आयु में शादी के बंधन में बांध दिया जाता है। 

Feb 28, 2015 / 11:44 am

Manish sharma

देशभर में बाल विवाह के जरिए मासूमों का बचपन मार दिया जाता है। जो उम्र खेलने-कूदने की होती है उस आयु में शादी के बंधन में बांध दिया जाता है। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा तकलीफ लड़की को होती है। 

उनकी पढ़ाई छुड़ा दी जाती है और ससुराल की जिम्मेदारी कोमल कंधों पर डाल दी जाती है। लेकिन
अब कुछ लड़कियां इस कुरीति के खिलाफ खड़ी होने लगी है। ओडीशा में ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां एक नाबालिग लड़की ने अपने मां-बाप से साफतौर पर बाल विवाह करने से मना कर दिया।

 उस लड़की ने खुद के 18 साल तक नहीं होने तक शादी से इंकार कर दिया। कंधमाल जिले के दांकेनी गांव निवासी 17 साल की दलित लड़की सुजाता की उसके घरवाले शादी तय कर चुके थे। लेकिन सुजाता कम उम्र में शादी नहीं करना चाहती थी। 

जिसके चलते उसने अपने मां-बाप को 18 साल से पहले शादी नहीं करने से साफ मना कर दिया। उसने अपने घरवालों से पहले अपनी पढ़ाई पूरी होने और बालिग होने का इतजार करने को कहा। जिस पर घरवालों ने उसकी बात मानने से इंकार दिया।

लेकिन सुजाता ने हार नहीं मानीं और उन्हें लगातार समझाने की कोशिश करती रही। बाद में परिजनों को उसकी बात सही लगी और उसे पढऩे देने और शादी नहीं कराने के फैसले को मंजूरी दे ही दी। दरअसल, ओडीशा में हर साल सैकड़ों लड़कियों को कम उम्र में ही शादी के बंधन में बांध दिया जाता है लेकिन सुजाता के हिम्मतभरे फैसले ने कई लड़कियों की प्रेरणा बनने का काम किया है। 

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