सरकारी कर्मचारियों को नहीं किया जा सकता मौलिक अधिकारों के संरक्षण से बाहर
जस्टिस कामेश्वर राव और जस्टिस अनूप कुमार मेंदिरता की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत अधिकारों के संरक्षण से बाहर नहीं किया जा सकता है। साथ ही कहा कि एक लोक सेवक के रूप में उनके द्वारा निभाए जाने वाले कर्तव्यों में भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के संदर्भ में स्वतंत्रता के प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं। देश के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) में संघ या सहकारी समितियां बनाने का अधिकार मौलिक अधिकार है। भले ही सरकार द्वारा ऐसे संघों की मान्यता मौलिक अधिकार नहीं दिया गया हो।
सेंट्रल पीडब्ल्यूडी इंजीनियर्स एसोसिएशन ने दायर की थी याचिका
कोर्ट ने सेंट्रल पीडब्ल्यूडी इंजीनियर्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। यह याचिका में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल द्वारा 2019 में पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। केंद्रीय सिविल सेवा (सेवा संघों की मान्यता) नियम, 1993 के नियम 6(ई) के तहत निर्दिष्ट अनुसूची के अनुसार दस्तावेज दायर नहीं किए गए।
आईडी प्रूफ के बिना 2000 के नोट बदलने के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित
वकील ने हाईकोर्ट में दी ये दलील
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मान्यता देने या जारी रखने या मान्यता रद्द करने के आदेश केवल सरकार दे सकती है। यानी सीसीएस (आरएसए) नियम, 1993 के नियम 2 (ए) के अनुसार केंद्र सरकार ही जारी कर सकती है। दिनांक 09 जनवरी, 2019 के ऑफिस मेमोरेंडम नंबर 18/3/2018 के संदर्भ में मान्यता को जारी न रखने का निर्णय डीजी, सीपीडब्ल्यूडी द्वारा नहीं लिया जा सकता है। क्योंकि सक्षम प्राधिकारी सरकार की परिभाषा सीसीएस (आरएसए) नियम, 1993 के नियम 2 (ए) के तहत केंद्र सरकार है।