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पेट्रोलियम पदार्थों पर अप्रत्यक्ष कर वसूली से ऐसे भर रहा है सरकार का खजाना

इंदौर। कन्ज़यूमर्स को राहत पहुंचाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी घटाने को लेकर सरकार भले ही फिलहाल कोई निर्णय नहीं ले सकी हो। लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों पर इस अप्रत्यक्ष कर की वसूली में इजाफे से सरकार का खजाना भरता जा रहा है।  फ़ाइनैंशल इयर 2015-16 में सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर […]

Jun 09, 2016 / 01:24 pm

इंदौर। कन्ज़यूमर्स को राहत पहुंचाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी घटाने को लेकर सरकार भले ही फिलहाल कोई निर्णय नहीं ले सकी हो। लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों पर इस अप्रत्यक्ष कर की वसूली में इजाफे से सरकार का खजाना भरता जा रहा है। 
फ़ाइनैंशल इयर 2015-16 में सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज़ ड्यूटी की वसूली से 1,98,793.3 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ जो इसके पिछले साल की तुलना में करीब 80.14 प्रतिशत अधिक है। 

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी हासिल हुई है। नई दिल्ली स्थित सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी और कस्टम विभाग के आंकड़ा प्रबंधन निदेशालय की ओर से आरटीआई के तहत गौड़ को एक जून को भेजे गए जवाब में बताया गया कि सरकार ने फ़ाइनैंशल इयर 2014-15 में पेट्रोलियम पदार्थों पर 1,10,354 करोड़ रुपए का उत्पाद शुल्क वसूला था। 
आरटीआई के तहत मिले पिछले पांच सालों के सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि फ़ाइनैंशल इयर 2011-12 के मुकाबले में फ़ाइनैंशल इयर 2015-16 में पेट्रोलियम पदार्थों पर सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी का राजस्व संग्रह 166.12 प्रतिशत बढ़ चुका है। 
फ़ाइनैंशल इयर 2011-12 में पेट्रोलियम पदार्थों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली से सरकारी खजाने में 74,701 करोड़ रुपए जमा हुए थे। इसके बाद से इस अप्रत्यक्ष कर के राजस्व में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

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