भारतीय मौसम विभाग के निदेशक मृत्युंजय महापात्र ने भी एक बातचीत में अच्छे मानसून की संभावना को रेखांकित किया है। उनका कहना है कि ला नीना की तटस्थ स्थिति दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए अच्छी मानी जाती है, जबकि अल नीनो को नहीं। पिछले दशकों में 60 फीसदी वर्षों में अल नीनो का मानसून पर नकारात्मक असर दिखा है, लेकिन पिछले वर्ष ऐसा नहीं था। महापात्र ने कहा, इस वर्ष भी बर्फबारी कम रही, लेकिन इसे नकारात्मक नहीं कह सकते। यह बदलाव मानसून के लिए अनुकूल है।
निजी मौसम एजेंसी स्काइमेट के मुताबिक मध्यप्रदेश पर एक चक्रवाती परिसंचरण विकसित होने का अनुमान है, जबकि एक ट्रफ रेखा आंतरिक कर्नाटक से पूर्वी मध्यप्रदेश तक फैलेगी। इसके अलावा, पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी पर एक प्रति-चक्रवात मौसम प्रणाली में नमी बनाएगा। इस मौसम प्रणाली के कारण कुछ स्थानों पर अप्रेल के मध्य तक आंधी, बारिश और तेज हवाएं चलने का अनुमान है, जिससे हीटवेव से राहत मिलेगी।
देश में 70 फीसदी वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से ही होती है, जो कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र देश की जीडीपी में लगभग 14 फीसदी का योगदान देता है। आधे से ज्यादा रोजगार कृषि और कृषि क्षेत्रों से जुड़े हैं। वर्ष 2023 में मजबूत अल नीनो के कारण औसत (868.6 मिमी) से कम (820 मिमी) बारिश हुई थी।
भारत मौसम विभाग (आइएमडी) मानसूनी वर्षा का पूर्वानुमान तीन प्रमुख जलवायु घटनाओं को देखकर करता है। पहला अल नीनो, दूसरा है हिंद महासागर द्विध्रुव (आइओडी) जो भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान के कारण होता है। तीसरा, उत्तरी हिमालय और यूरेशियन भूभाग पर बर्फ का आवरण है, जो भारतीय मानसून पर भी प्रभाव डालता है।