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दक्षिण समेत कई राज्यों के चुनाव पर प्रवासी वोटबैंक का अहम प्रभाव, यहां जानिए पूरा समीकरण

Lok Sabha Elections 2024 : भाजपा ने दक्षिण-पूर्वांचल में स्थिति को सुधारने के लिए अलग-अलग तरह वोट बैंक को साधने पर फोकस किया है। पढ़िए कानाराम मुण्डियार की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीApr 18, 2024 / 07:51 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : इस बार के लोकसभा चुनाव में दक्षिण समेत के कई राज्यों में प्रवासी वोटबैंक की अहम भूमिका रहने वाली है। भाजपा व एनडीए गठबंधन के 400 पार का आंकड़ा भी प्रवासियों के वोट बैंक से ही पार लगेगा। भाजपा ने दक्षिण-पूर्वांचल में स्थिति को सुधारने के लिए अलग-अलग तरह वोट बैंक को साधने पर फोकस किया है। इन राज्यों में प्रवासी वोट बैंक का रोल अहम है। भाजपा ही नहीं कांग्रेस भी प्रवासी वोट बैंक को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। दक्षिण के कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश व तमिलाडु में प्रवासियों की संख्या लाखों में हैं। वहीं पश्चिम के गुजरात, महाराष्ट्र व पूर्वांचल के पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में भी प्रवासी बसे हुए हैं। दक्षिण राज्यों में बसे प्रवासियों में सबसे अधिक संख्या राजस्थानियों की है। राज्यों में प्रवासियों के संघ भी बने हुए हैं। इन संघों के जरिए दलों ने वोटबैंक को साधने की भरसक कोशिश की जा रही है। चुनावी साल में भाजपा समेत अन्य दलों ने प्रवासियों के सम्मेलन, संगठनों के कार्यक्रमों में विशेष भागीदारी निभाई और उनसे संबंध बढ़ाए गए।
तेलंगाना: राज्य व केन्द्र में अलग-अलग राय
-कुल प्रवासी: 18 लाख -केन्द्र व राज्य के चुनाव में अलग-अलग राय।
-प्रवासियों के कई संगठन व संस्थाएं काम कर रही।
-संगठनों के वार्षिक कार्यक्रमों में केन्द्र व क्षेत्रीय दलों के नेता भाग लेते रहे हैं।
पश्चिम बंगाल : कई सीटों पर दिख रहा असर
-कुल प्रवासी: 3 करोड़
-चार-पांच सीटों पर प्रवासियों का प्रभाव।
-राजस्थान, बिहार, यूपी, झारखंड, आन्ध्र प्रदेश, ओडिशा और पंजाब के प्रवासी ज्यादा।
-कोलकाता में राजस्थानियों का प्रभाव।

गुजरात : हर चुनाव में निभाते अहम रोल
-कुल प्रवासी: 60 लाख
-राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश सहित उत्तर भारत के प्रवासी ज्यादा।
-हर चुनाव में अहम रोल निभाते हैं यहां के प्रवासी।
-अहमदाबाद, राजकोट, गांधीधाम, वडोदरा, सूरत में राजस्थानी प्रवासियों का प्रभाव।
कर्नाटक : चुनाव की हवा बदल देते हैं राजस्थानी
-कुल प्रवासी : 1.25 लाख
-बेंगलूरु, मैसूरु, हुब्बल्ली सहित अन्य क्षेत्रों में राजस्थानी प्रवासियों का प्रभाव।
-अधिकत्तर प्रवासी व्यापारी, खुलकर नहीं रखते राय। हवा बदलने में प्रभाव।
-पिछले तीन चुनावों में भाजपा की तरफ रहा झुकाव।
तमिलनाडु : चेन्नई शहर पर अधिक प्रभाव
-कुल प्रवासी : 8 लाख
-राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार व मध्यप्रदेश के प्रवासी ज्यादा।
-चैन्नई सैन्ट्रल सीट पर राजस्थानी प्रवासियों का प्रभाव।
-इस चुनाव में प्रवासी अधिक संगठित दिखाई दे रहे।

महाराष्ट्र : कई सीटों पर निर्णायक की भूमिका
-कुल प्रवासी : 2.5 करोड़
-मुम्बई महानगर, थाणे, पालघर, नाशिक व पुणे में निर्णायक की भूमिका।
-उत्तर भारतीय, राजस्थानी और गुजराती की संख्या ज्यादा।
-रोजगार में गारंटी, कानूनी सुरक्षा है प्रवासियों की बड़ी मांग।
प्रवासियों के लिए दलों की तैयारी
-ऐसी प्रवासी, जिनके वोट उनके कार्य या व्यापारिक क्षेत्र में ही पड़ेगे, उनकेे वोट शत-प्रतिशत दिलाने की जिम्मेदारी। -ऐसे प्रवासी, जिनके वोट उनके मूल राज्य में पड़ेगे, उन्हें सूचीबद्ध कर मतदान दिवस उनके गृह राज्यों के बूथों पर लाकर वोट देने के बाद पुन: कार्य क्षेत्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी।
चुनाव भी जीते
कई राज्यों में प्रवासियों ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। न केवल चुनाव में उतरे, बल्कि जीत भी दर्ज कर राजनीति में अपनी छाप भी छोड़ी।

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