scriptअमेरिका और चीन के बाद अंग दान और प्रत्यारोपण के मामले में भारत तीसरे स्थान पर | India now ranks third in organ transplantation: Mansukh Mandaviya | Patrika News

अमेरिका और चीन के बाद अंग दान और प्रत्यारोपण के मामले में भारत तीसरे स्थान पर

locationनई दिल्लीPublished: Nov 27, 2021 07:08:26 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

केंद्रीय स्वास्थ्य मनसुख मांडविया ने जनता से कहा कि ‘जीते जी रक्तदान, मरने के बाद अंगदान, हमारे जीवन का आदर्श होना चाहिए।’

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मृत्यु के बाद भी यदि कोई किसी के काम आ सकें तो इससे बढ़िया क्या होगा? यदि किसी के कारण किसी व्यक्ति या उसके परिवार को नया जीवन और खुशियां मिले तो इससे बड़ा क्या होगा? शायद इसीलिए अंग दान को महादान कहा जाता है। आज 12 वें भारतीय अंग दिवस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने जनता को संबोधित कर बताया कैसे भारत आज दुनिया में अंग दान और प्रत्यारोपण में तीसरे स्थान पर आ गया है। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य ने जनता से कहा कि जीते जी रक्तदान, मरने के बाद अंगदान, हमारे जीवन का आदर्श होना चाहिए।
भारत अंग प्रत्यारोपण में तीसरे स्थान पर
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि “इस अवसर पर मुझे ये बताते हुए गर्व हो रहा है कि देश में हर साल अंग प्रत्यारोपण की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2013 में 4,990 से बढ़कर ये संख्या वर्ष 2019 में 12,746 हो गई है। भारत अब दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद इस मामले में तीसरे स्थान पर है। ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन (GODT) वेबसाइट पर डेटाउपलब्ध है। इस तरह से अंग दान दर 2012-13 की तुलना में लगभग चार गुना बढ़ा है।”
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बताया अंग दान का महत्व

मनसुख मांडविया ने कहा, “हमारी संस्कृति ‘शुभ’ और ‘लाभ’ पर जोर देती है, जहां व्यक्तिगत भलाई से अधिक समुदाय की भलाई से जुड़ी है। 12वें भारतीय अंगदान दिवस में भाग लेना मेरे लिए सम्मान की बात है, यह दिन महान लोगों के लिए मनाया जाता है। ये वो दिन है जब अंग दान जैसे नेक कार्य के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2010 से ही मृतक डोनर और उनके परिवारों द्वारा समाज में किए गए योगदान को याद करने के लिए हर साल भारतीय अंगदान दिवस मनाया जा रहा है।”
कोरोना ने किया प्रभावित

हालांकि, केन्द्रीय मंत्री ने ये भी कहा कि आज भी देश अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों की संख्या और मृत्यु के बाद अपने अंग दान करने के लिए सहमत होने वाले लोगों की संख्या के बीच एक बड़े अंतर का सामना कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने कहा, “अंग दान और प्रत्यारोपण गतिविधियों को COVID-19 महामारी ने नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही इसे पीछे छोड़ देंगे।”
इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने कहा, पूरे समाज को, डॉक्टरों को, जागरूक नागरिकों को, सरकारों और यहां तक कि मीडिया को अंगदान करने की झिझक को दूर करने और देश भर में अंगदान बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
डीडीओटी के समक्ष रही कई चुनौतियां

बता दें कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ यूमन ऑर्गन्स ऐक्ट (THOA) को सबसे पहले 1994 में पारित किया गया था। इसे बाद में भारत सरकार द्वारा 2011 और 2014 में संशोधित किया गया था। इसका उद्देश्य देश में मृत्यु के बाद अंग दान करने के लिए जनता को प्रेरित करना था। हालांकि, इसके लिए सुधार की आवश्यकता थी ताकि स्पष्टता और सरलता सुनिश्चित की जा सके।
भारत में डीडीओटी (Deceased-Donor Organ Transplantation) को लेकर जागरूकता में जो कमी थी उसका कारण मेडिकल क्षेत्र सुविधा न होना और जनता में कुछ जानकारियों की कमी थी। इसके अलावा पर्याप्त बुनियादी ढांचों की कमी (खासकर सरकारी क्षेत्र में) और अंगों के लिए विशेष परिवहन की कमी देश भर में डीडीओटी के कार्य को कठिन बनाता है। हालांकि, सरकार ने कई नए नियम लागू किए हैं जिससे पोस्टमार्टम सूर्यास्त के बाद भी उन जगहों पर हो सके जहां बुनियादी सुविधा नहीं थी। डीडीओटी कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू करने वाले राज्यों के कारण भी ये संभव हो सका है। अब भी सरकार को कई सुधार करने की आवश्यकता है।
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