हेग में अंतर्राष्ट्रीय अदालत में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत ने इस अदालत का रुख किया है। जहां अदालत ने इस पर तत्काल संज्ञान लिया। साल्वे ने अदालत से कहा कि साल 2016 में ईरान में जाधव का अपहरण किया गया और फिर पाकिस्तान लाकर कथित तौर पर भारतीय जासूस के तौर पर पेश किया गया और सैन्य हिरासत में उनसे कबूलनामा लिया गया। साल्वे ने कहा कि भारत सरकार को यह तक पता नहीं है कि कुलभूषण को पाकिस्तान में किस जेल में रखा गया है।
उनका कहना कि पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी से भारत को अवगत नहीं कराया। उन्होंने कहा कि सैन्य अदालत द्वारा एक हास्यास्पद सुनवाई के परिणाम स्वरूप उन्हें सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ भारत ने आईसीजे का रुख किया और सजा को निलंबित करने की मांग की। साल्वे ने कहा कि जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान करने के लिए पाकिस्तान से 16 बार अनुरोध किया गया। लेकिन इस्लामाबाद ने इसे नकार दिया। साल्वे ने कहा कि 12 मई को पाकिस्तान से मिले एक पत्र में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि जाधव के खिलाफ क्या आरोप लगाए गए हैं।
साल्वे ने अतीत के उन तीन मामलों का जिक्र किया, जिनमें आईसीजे ने हस्तक्षेप किया था। पराग्वे बनाम अमेरिका सहित इन मामलों में अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अमेरिकी सरकार को पराग्वे के नागरिक को राजनयिक संपर्क सुनिश्चित करने को लेकर कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाक ने जाधव को देश के खिलाफ जासूसी को लेकर फांसी की सजा सुनाई है। भारत इन आरोपों को खारिज करता है। भारत ने जाधव को उचित कानूनी मदद सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। लेकिन पता नहीं है कि मौजूदा परिस्थितियों में जाधव को राहत मिलेगी या नहीं।
वहीं भारतीय अधिकारी दीपक मित्तल ने बहस की शुरुआत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से कहा कि जाधव को न तो अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने का मौका दिया गया और न ही उन्हें राजनयिक संपर्क मुहैया कराया गया। आशंका है कि इस मामले में आईसीजे का फैसला आने से पहले ही उनकी मौत की सजा पर अमल किया जा सकता है।
मित्तल ने अदालत से कहा कि भारत को प्रेस रिपोर्ट से जानकारी मिली कि जाधव को मौत की सजा एक कथित कबूलनामे के आधार पर दी गई है। भारत के कई बार आग्रह करने के बावजूद पाकिस्तान ने मामले का आरोप-पत्र तथा मामले से संबंधित किसी भी प्रकार के दस्तावेज मुहैया नहीं कराए। उनका कहना कि जाधव को उनके कानूनी अधिकार से वंचित किया गया। जाधव के माता-पिता ने पाकिस्तान जाने के लिए वीजा आवेदन दिया, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
इसके अलावा भारत ने यह भी मांग की है कि वह सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दी गई मौत की सजा पर अमल करने से पाकिस्तान को रोके तथा उसके फैसले को अवैध करार देने का निर्देश दे। गौरतलब है कि एक साल पहले गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले महीने मौत की सजा सुनाई। भारत ने कहा है कि जाधव का अपहरण किया गया और उनपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए।