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क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

गुजरात सरकार पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर संसद क्या कर रही है, क्या गुजरात भारत का
हिस्सा नहीं है?

वाराणसीFeb 01, 2016 / 05:02 pm

rajesh walia

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून समेत केंद्र की कुछ अन्य कल्याणकारी योजनाओं को लागू नहीं करने के लिए कुछ राज्यों को फटकार लगाई है। गुजरात सरकार पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने कहा कि संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को वह क्यों नहीं कार्यान्वित कर रहा है। कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर संसद क्या कर रही है, क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है?

कानून कहता है कि वह पूरे देश के लिए है लेकिन गुजरात इसे लागू नहीं कर रहा है। यही स्थिति रही तो कल कोई कह सकता है कि वह आईपीसी और साक्ष्य अभिनियम को लागू नहीं करेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सूखा प्रभावित राज्यों में मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और मध्याह्न भोजन जैसी कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र कर 10 फरवरी तक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को केंद्र से मनरेगा, खाद्य सुरक्षा कानून और मध्याह्न भोजन योजनाओं के कार्यान्वयन के बारे में जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने जानना चाहा था कि क्या प्रभावितों को न्यूनतम आवश्यक रोजगार और आहार उपलब्ध कराया जा रहा है या नहीं।

इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि अपने दायित्वों के निर्वाह में केंद्र और राज्यों की घोर उपेक्षा के कारण लोगों को खासा नुकसान हो रहा है और यह अधिकारों की गारंटी की संवैधानिक व्यवस्था के उलट है।

जनहित याचिका पर सुनवाई
केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन न होने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि यूपी, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड, बिहार, हरियाणा और चंडीगढ़ सूखा प्रभावित हैं, लेकिन सरकार समुचित राहत उपलब्ध नहीं करा रही है। यह याचिका एडवाकेट प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई है।

स्कूल में बच्चों को दें दूध और अंडे
याचिका में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की गई है, जिसमें हर व्यक्ति को प्रति महीने पांच किलो खाद्यान्न मुहैया कराने की गारंटी दी गई है। लाभार्थियों को दालें और खाद्य तेल भी देने की मांग की गई है। इसके अलावा स्कूल में बच्चों को मध्याह्न भोजन अंतर्गत दूध और अंडा भी दिए जाने की मांग की गई है।

समय पर किसानों को दिलाएं मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट से फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को समय पर और समुचित मुआवजा दिलाने की मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि सूखा प्रभावित किसानों को अगली फसल के लिए सब्सिडी और पशुओं के लिए सब्सिडी युक्त चारा दिया जाना चाहिए।

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