एक सूत्र ने बताया कि पिछले सप्ताह डोडो जिले में हुए आतंकवादी हमले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों के घायल होने के बाद यह छापेमारी की गई। घायल दोनों अधिकारियों में से बाद में एक की मौत हो गई थी।
डोडा के टांटा पुलिस थाने पर सात मई को हुई गोलीबारी की जांच के लिए डोडा के पुलिस प्रमुख मुहम्मद शाबिर के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की गई थी। एसआईटी ने फोरेंसिक टीम के साथ छापेमारी की।
सूत्र ने बताया, ”स्थानीय सूत्रों से मिली खुफिया जानकारी के अनुसार एसआईटी ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया। संदिग्धों से पूछताछ के दौरान हुए खुलासे के आधार पर टांटा गांव के निवासी अब्दुल राशिद हरगा उर्फ अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया। अब्दुल्ला 2001 से 2008 के बीच लश्कर का सक्रिय सदस्य रहा, हालांकि बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया था।
हरगा ने लगातार पूछताछ के बाद कबूल कर लिया कि गोलीबारी की घटना में वह भी शामिल था और हमले में शामिल अपने दो साथियों का भी खुलासा किया। हरगा की स्वीकारोक्ति के अनुसार, टांटा पुलिस थाने पर हमले में हरगा का छोटा भाई शौकत अली और टांटा का रहने वाला एक अन्य व्यक्ति अख्तर मगरी शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार, हरगा प्रादेशिक सेना में सेवा दे चुके बशीर अहमद के संपर्क में था। बशीर अहमद का भतीजा अल्ताफ अहमद डोडा में विशेष पुलिस अधिकारी रह चुका है। बशीर ने ही हमले के लिए अल्ताफ से हथियार का इंतजाम करने के लिए कहा था।
अल्ताफ ने डोडा के जिला पुलिस लाइन से इसी साल जनवरी में एक एके47 राइफल चोरी की और अपने चाचा बशीर को दे दी। इस बीच हरगा पाकिस्तान में अपने आका और लश्कर के सदस्य मोहम्मद अमीन उर्फ हारून के संपर्क में था।
सूत्र ने बताया, ”हारून और चेनाब घाटी में सक्रिय लश्कर के आतंकवादियों के निर्देश पर संगठन से जुड़े नए सदस्यों को गांडोह बेल्ट में सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कहा और सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बनाई।
सूत्र के अनुसार, ”हरगा को सात मई को पता चला कि टांटा पुलिस थाने में सिर्फ दो-तीन पुलिसकर्मी मौजूद हैं, जिसके बाद उसने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस थाने पर हमला कर दिया।